नईदिल्ली(ए)। भारत की युवा शक्ति की बढ़ती रोजगार क्षमता ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में बताया कि भारतीय स्नातकों की रोजगार क्षमता पिछले दशक में जबरदस्त वृद्धि हुई है, और 2013 में जहां यह 33.95 प्रतिशत थी, वहीं 2024 तक यह बढ़कर 54.81 प्रतिशत हो गई है। इस वृद्धि का श्रेय सरकार की कौशल-निर्माण योजनाओं और विभिन्न नवाचारों को जाता है, जिनका उद्देश्य भारतीय युवाओं को भविष्य के नौकरी बाजार के लिए तैयार करना है। मंडाविया ने भारत के भविष्य की अर्थव्यवस्था पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत ने 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके अलावा, 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का उद्देश्य है।
बिम्सटेक देशों के साथ सामूहिक विकास
मंडाविया ने यह बात गांधीनगर में आयोजित बिम्सटेक युवा शिखर सम्मेलन में कही। बिम्सटेक (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) एक महत्वपूर्ण संगठन है, जिसमें भारत सहित कुल सात सदस्य देश शामिल हैं – बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और भारत। यह संगठन आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने का काम करता है। इस शिखर सम्मेलन में उन्होंने बताया कि बिम्सटेक देशों की 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, जिससे यह क्षेत्र विशेष रूप से युवाओं के लिए बेहतर अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “भारत अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों के साथ इन देशों को मार्गदर्शन देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
युवाओं के कौशल के लिए सरकार की पहल
मंडाविया ने यह भी बताया कि भारतीय सरकार ने पिछले वर्षों में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जिनके तहत 1.5 करोड़ से अधिक युवाओं को अत्याधुनिक तकनीकों जैसे कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), रोबोटिक्स, और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण दिया गया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य युवाओं को ऐसे उद्योग-प्रासंगिक कौशल से लैस करना है, जो भविष्य के नौकरी बाजार में आवश्यक होंगे। “कौशल भारत योजना” के तहत युवाओं को इन तकनीकी क्षेत्रों में तैयार किया गया है, जिससे उनका रोजगार क्षमता में सुधार हुआ है।
रोजगार क्षमता में सुधार
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पिछले दशक में भारतीय स्नातकों की रोजगार क्षमता में लगभग 61 प्रतिशत का सुधार हुआ है। 2013 में जहां यह 33.95 प्रतिशत थी, वहीं अब यह 54.81 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इसका मतलब है कि भारतीय युवा अब पहले से कहीं अधिक तैयार हैं और उन्हें नौकरी मिलना आसान हो गया है। सरकार की ओर से कौशल-निर्माण पर जोर देने से ही यह परिवर्तन संभव हुआ है।