यूजीसी ने जारी किया ड्राफ्ट
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती व पदोन्नति के नियमों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत और लचीला किया है। साथ ही इन बदलावों को लेकर एक मसौदा भी जारी किया है। इसके तहत मसौदे को अंतिम रूप देने के छह महीने के भीतर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इसे अपनाना होगा। इनमें विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय, स्वायत्त कॉलेज और कॉलेज भी होंगे। इसके साथ ही इस नई व्यवस्था में अब शैक्षणिक योग्यता के साथ ही उनके अनुभव और स्किल को महत्व दिया जाएगा। यूजीसी ने यह पहल तब की है, जब उच्च शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रमों को भी पहले के मुकाबले लचीला बनाया गया है, जहां छात्रों को कभी भी पढ़ाई छोड़ने और उसे फिर से शुरू करने का विकल्प दिया गया है।
पदोन्नति में भी स्किल को दिया जाएगा महत्व
यूजीसी ने इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों की पदोन्नति में शैक्षणिक प्रदर्शन की जगह उनके स्किल और अनुभव को महत्व देने का सुझाव दिया गया है। नए प्रस्तावित नियमों में योग, संगीत, परफॉर्मिंग व विजुअल आर्ट, मूर्तिकला और नाटक जैसे क्षेत्रों से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए विशेष भर्ती प्रक्रिया को अपनायी जाएगी।
प्रस्तावित भर्ती नियमों में यह भी किया है शामिल
- शिक्षकों की भर्ती में वैसे तो यूजीसी-नेट का पात्रता अनिवार्य किया गया है, लेकिन 11 जुलाई 2009 से पहले जिन छात्रों ने पीएचडी की है, उनके लिए इसकी बाध्यता नहीं है। यानी वह सीधे आवेदन कर सकेंगे।
- असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर पदोन्नति के लिए पीएचडी अनिवार्य होगा।
- यदि किसी भी स्तर पर भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है, तो उन्हें भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी।
- कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति अब पांच साल के लिए ही होगी। जिन्हें इस पर अधिकतम दो कार्यकाल मिल सकता है। यानी कोई भी अधिकतम दस साल तक ही प्राचार्य के पद पर रह सकता है। इसके बाद वह प्रोफेसर पद के लिए प्रोन्नत हो सकता है।