Home देश-दुनिया 2025 में नहीं होगा पूरा सूर्यग्रहण, पढ़ें सूरज की गतिविधियों का अगले साल पृथ्वी पर क्या होगा असर

2025 में नहीं होगा पूरा सूर्यग्रहण, पढ़ें सूरज की गतिविधियों का अगले साल पृथ्वी पर क्या होगा असर

by admin
नई दिल्ली(ए)। साल 2024 में सूर्य की गतिविधियां काफी अधिक रहीं, जहां पूर्ण सूर्यग्रहण भी देखने को मिला और अरोरा लाइट्स का भी अनुभव हुआ। हालांकि 2025 में कोई पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं होगा। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च और सितंबर में आंशिक ग्रहण देखने को मिलेंगे, जो कि उत्तरी अमेरिका, यूरोप और न्यूजीलैंड के कुछ हिस्सों से दिखाई देंगे। 

हालांकि अरोरा लाइट्स बनने के अवसर कम ही होंगे। इसके बावजूद साल 2025 में सौर्य गतिविधियां चरम पर जारी रहेंगी। इसका असर पृथ्वी पर भी देखने को मिलेगा। सौर्य चक्र 25 इस साल एक महत्वपूर्ण चरण पर पहुंचेगा। जैसे-जैसे यह चक्र आगे बढ़ता है, सूर्य की किरणों, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और भू-चुंबकीय तूफानों सहित सौर घटनाओं में वृद्धि होती है। 

चक्र की अधिकतम अवधि में है सूर्य

रिपोर्ट के मुताबिक सूर्य की बढ़ी हुई गतिविधि ने पहले ही नाटकीय घटनाएं ला दी हैं, जिनका आने वाले वर्ष पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के डेटा के अनुसार, सूर्य वर्तमान में अपने 11-वर्षीय चक्र की अधिकतम अवधि में है। उच्च सनस्पॉट गणना की विशेषता वाले इस चरण में आमतौर पर सूर्य की किरणें और पृथ्वी-निर्देशित CME में वृद्धि देखी जाती है।

हालांकि सौर चक्र 25 का सटीक शिखर अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है, लेकिन हाल के रिकॉर्ड बताते हैं कि यह चक्र पहले ही सौर चक्र 24 की चरम गतिविधि को पार कर चुका है, जो 2014 में हुआ था। वैज्ञानिकों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि शिखर कब हुआ है, इसकी पुष्टि करने के लिए सनस्पॉट संख्याओं के रोलिंग औसत की बारीकी से निगरानी की जाती है, जिसमें सुचारू डेटा अक्सर कई महीनों से पीछे रहता है। 

2025 में अनुमानित घटनाएं और प्रभाव

रिपोर्ट बताती हैं कि भले ही सौर चक्र 25 का शिखर पहले ही पहुंच चुका हो, लेकिन सौर अधिकतम गतिविधि की अवधि बनी रहने की उम्मीद है। 2024 में देखे गए बड़े पैमाने पर भू-चुंबकीय तूफान, उपग्रह-आधारित सेवाओं और बिजली ग्रिड को बाधित कर सकते हैं। मई 2024 में, एक चरम भू-चुंबकीय तूफान ने नेविगेशन सिस्टम को बाधित कर दिया, जिससे कथित तौर पर कृषि में काफी नुकसान हुआ। आने वाले वर्ष में इसी तरह की घटनाएं टेक्नोलॉजी पर निर्भर उद्योगों के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं।

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