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नई दिल्ली(ए)। एक संसदीय समिति ने मनरेगा में भुगतान के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के ‘आधार बेस्ड पेमेंट ब्रिज सिस्टम’ (एबीपीएस) को अनिवार्य नहीं करने की सिफारिश की है।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति की यह रिपोर्ट मंगलवार को लोकसभा में प्रस्तुत की गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भुगतान के लिए वैकल्पिक तंत्र होना चाहिए, ताकि मनरेगा का बुनियादी लक्ष्य विफल नहीं होने पाए।
मजदूरी बढ़ाने की सिफारिश
समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कम मजदूरी को लेकर सरकार की खिंचाई की और श्रमिकों की मजदूरी मुद्रास्फीति के अनुरूप किसी सूचकांक से जोड़कर बढ़ाने की सिफारिश की है।
समिति ने कहा कि वर्ष 2008 से मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी दर की समीक्षा की गई और पाया गया कि यह राशि अपर्याप्त है। जीवन-यापन की बढ़ती लागत के अनुरूप नहीं है। जबकि एबीपीएस को इसी वर्ष एक जनवरी से अनिवार्य किया गया है। इस प्रणाली को अभी अनिवार्य करना जल्दबाजी है। क्योंकि इससे जुड़ी तकनीकी दिक्कतों का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। नतीजन लाखों श्रमिक इससे बाहर हैं। इसलिए समिति अपनी पिछली सिफारिश को दोहराती है कि एबीपीएस को अनिवार्य नहीं करना चाहिए। वैकल्पिक तंत्र को संचालित करना चाहिए।संसदीय समिति ने मनरेगा से संबंधित राष्ट्रीय ग्रामीण मोबाइल निगरानी प्रणाली को लेकर जागरुकता फैलाने और उपस्थिति दर्ज करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की भी बात कही है।