Home देश-दुनिया मैसूर में खुलेगा दुनिया का पहला LED गुंबद वाला तारामंडल, जानें और क्या है इसकी खासियत?

मैसूर में खुलेगा दुनिया का पहला LED गुंबद वाला तारामंडल, जानें और क्या है इसकी खासियत?

by admin
मैसूर (ए)। कर्नाटक के मैसूर में सितंबर 2025 में दुनिया का पहला LED गुंबद वाला तारामंडल आम जनता के लिए खुल जाएगा। बता दें कि 91 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस प्रोजेक्ट को भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईएपी) और मैसूर विश्वविद्यालय के सहयोग से चामुंडी हिल्स कैंपस में बनाया जा रहा है।
15 डिग्री के कोण पर झुका होगा तारामंडल- निदेशक
आईआईएपी की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने बताया कि यह तारामंडल पारंपरिक प्रोजेक्टर-आधारित सिस्टम से अलग होगा। इसमें एलईडी तत्वों का उपयोग होगा, जो रंगों का एक बड़ा स्पेक्ट्रम प्रदर्शित करेंगे। इस तारामंडल का गुंबद 15 मीटर चौड़ा होगा और 15 डिग्री के कोण पर झुका होगा, जिससे दर्शकों को आकाश को सीधे सामने देखने का अनुभव मिलेगा। इसके लिए कुर्सियों पर लेटने और गर्दन झुकाने की जरूरत नहीं होगी।
आकाश और खगोलीय दृश्य दिखाने में होगा सक्षम
यह एलईडी डोम सिस्टम अधिक चमकदार और विस्तृत रंगों के साथ यथार्थपूर्ण तारों वाला आकाश और खगोलीय दृश्य दिखाने में सक्षम होगा। इसमें फ्रेंच कंपनी आरएसए कॉसमॉस के स्काईएक्सप्लोरर सॉफ़्टवेयर का उपयोग किया जाएगा, और 8K एलईडी लाइट्स लगाई जाएंगी। इस प्रोजेक्ट का निर्माण तेजी से हो रहा है और इसे अगले साल सितंबर तक शुरू करने की योजना है। आरएसए कॉसमॉस ने इस एलईडी डोम प्लैनेटेरियम का निर्माण अनुबंध हासिल किया है, और इसकी स्थापना भारतीय सहायक कंपनी ऑर्बिट एनीमेट प्रा. लिमिटेड की तरफ से की जाएगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सांसद निधि से वित्त पोषित
आईआईएपी के कॉसमॉस सेंटर (ब्रह्मांड विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान प्रशिक्षण केंद्र) के साथ यह तारामंडल एक अत्याधुनिक शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र होगा। यह छात्रों और शिक्षकों को नई तकनीकों से प्रशिक्षित करेगा और समाज के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा। यह परियोजना केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सांसद निधि (एमपीएलएडीएस) फंड, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के सहयोग से वित्त पोषित है।
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