शीर्ष अदालत ने दिए ये निर्देश
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हम दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को 2016 के नियमों के कार्यान्वयन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली नगर निगम सहित सभी हितधारकों की बैठक बुलाने का निर्देश देते हैं। पीठ ने आगे कहा कि सभी हित धारकों को एक साथ आगे आना चाहिए और 2016 के नियमों के प्रावधानों के अनुपालन की रिपोर्ट करने के लिए समय-सीमा निर्धारित करते हुए अदालत में एक आम रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने बैठक आयोजित कर प्रतिक्रिया साझा करने की समय सीमा 13 दिसंबर की तय की है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने देखा कि 2016 के नियम केवल कागजों पर ही रह गए हैं। अगर केवल राजधानी दिल्ली के क्षेत्र में इस नियम को लागू करने में विफलता हाथ लगी है तो देश के अन्य शहरों में क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस मामले पर अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां एक ओर 2016 के नियमों का क्रियान्वयन नहीं हो रहा था, जिस वजह से कचरा या ठोस अपशिष्ट अवैध रूप से लैंडफिल साइटों पर संग्रहीत किया जा रहा था और वहां पर आग लगने की संभवानाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। ठीक इसके दूसरे ओर व्यापक स्तर से निर्माण कार्य हो रहा है। जिस वजह से ठोस और निर्माण अपशिष्टों का उत्पादन बढ़ रहा था। पीठ का कहना है कि दिल्ली सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करते समय शहर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले ठोस अपशिष्ट के आंकड़े प्रस्तुत करने चाहिए।दिल्ली के पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अधिकृत किया कि यदि 2016 के नियमों का क्रियान्वयन में केंद्र सरकार के किसी विभाग की भागीदारी की आवश्यकता हो तो वे बैठक के लिए केंद्र के संबंधित अधिकारियों को बुलाया जा सकता है। पीठ का कहना है कि यदि पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव को लगता है कि कोई भी हित धारक सहयोग नहीं कर रहा है, तो हम उन्हें निर्देश प्राप्त करने के लिए इस न्यायालय में आवेदन करने की अनुमति देते हैं। इस मामले में पीठ अगली सुनवाई 16 दिसंबर को करेगी।