पिछले कुछ सालों में हाथियों की मौत में बढ़ोतरी
हाथी और मानव के बीच इस संघर्ष के पीछे इसके अतिरिक्त भी कई वजहें है। जिसमें जंगल के आसपास लगातार बढ़ रहा अतिक्रमण है। जिसमें लोगों की बसाहट अब जंगल के पास तक पहुंच गई है। इससे न सिर्फ हाथियों की शांति में खलल पड़ रही है बल्कि यह हलचल उनके गुस्से को बढ़ा रही है। वैसे भी पिछले कुछ सालों में जिस तरह से विकास के नाम में हाथियों के पारंपरिक सालों पुराने गलियारों को नष्ट किया गया है,वह भी हाथियों की मौत का एक बड़ा कारण है।
इस तरह कम होगा हाथी-मानव संघर्ष
उन्होंने कहा कि इस संघर्ष को थामने के लिए जरूरी है कि जंगल को उनके अनुकूल बनाया जाए। दूसरा जंगल के आस-पास एक ऐसा जोन विकसित किया जाए, जहां हाथियों के फसलों को खाने पर किसानों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। इससे वह फसलों के खाने पर उनके ऊपर हिंसक नहीं होंगे। तीसरा जंगल के आसपास ऐसी फसलें उगाई जाए, जिसे हाथी नहीं खाते है, जैसे मिर्च आदि।
हाथियों के हमले में पिछले दो सालों में 12 सौ से अधिक लोगों की मौत
हाथी और मानव के बीच संघर्ष का सबसे दुखद पहलू यह है कि हर साल इस संघर्ष में छह सौ से अधिक लोग अपनी जान गंवा रहे है। इनमें सबसे अधिक मौतें अकेले ओडिशा में होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022- 23 में जहां देश में हाथियों के कारण के 605 लोगों की मौतें हुई थी।
वहीं वर्ष 2023-24 में 629 लोगों की हाथियों के कारण मौतें हुई। इन दोनों ही सालों में सबसे अधिक अकेले ओडिशा से थी। 2022-23 में यहां 148 लोगों की मौतें हुई थी, जबकि 2023-24 में 154 लोगों की मौतें हुई थी। इसके साथ पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, तमिलनाडु व छत्तीसगढ़ में भी इन सालों में पचास से अधिक मौतें हुई है।
पिछले दो सालों में ढ़ाई सौ से अधिक हाथियों की भी हुई मौत
हाथियों और मानव के बीच जारी संघर्ष में हर साल सौ से अधिक हाथियों की भी मौत हो रही है। इनमें हाथियों की सबसे अधिक मौतें ओडिशा में ही हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों में यानी वर्ष 2022-23 और 2023-24 में देश में 254 हाथियों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है। इनमें सबसे अधिक 194 मौतें बिजली के करंट लगने से हुई है। जबकि करीब 32 मौतें रेल दुर्घटनाओं में, 23 अवैध शिकार में और पांच जहर के कारण हुई है।