नई दिल्ली (ए)। भारत और चीन (India-china) दुनिया की सबसे लंबी और विवादित सीमा साझा करते हैं, जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी कहते हैं। ये 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है। ये इतनी लंबी रेखा है कि भारत और चीन, लद्दाख से लेकर अरुणाचल (Arunachal) तक कई हिस्सों में अपना अलग-अलग दावे करते हैं और इससे टकराव की स्थिति बढ़ जाती है। लेकिन अब कुछ इलाकों और वहां पेट्रोलिंग (Patrolling) को लेकर आपसी सहमति बनी है।
After Ladakh, patrolling will also start in Yangtse of Arunachal Pradesh : आर्मी सूत्रों के मुताबिक, भारत और चीन के बीच में कुछ इलाकों को लेकर आपसी सहमति बनी है और पेट्रोलिंग फिर से शुरू की जाएगी, जिसमें अब अरुणाचल प्रदेश का यांग्त्से भी शामिल है। इस क्षेत्र में चीनी सैनिकों को गश्त की अनुमति दी जाएगी। यांग्स्ते में पहले की तरह चीनी सैनिक पैट्रोलिंग कर सकेंगे और गश्त के दौरान एक दूसरे की आवाजाही को अवरुद्ध नहीं किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, तवांग में यांग्त्से दोनों देशों के बीच चिन्हित विवादित क्षेत्रों में से एक है और यहां पीएलए की गश्त अन्य क्षेत्रों की तुलना में असामान्य रूप से बड़ी है। इस क्षेत्र में चीनी पीएलए के साथ अक्सर भारतीय सैनिकों का आमना-सामना होता रहा है। इस क्षेत्र में 2011 से लगातार भारतीय सैनिक और PLA के बीच में झड़पें भी होती रही हैं।
वहीं हर साल गर्मियों के महीनों के दौरान कुछ न कुछ झड़प की सूचना भी मिलती है। 9 दिसंबर, 2022 को भारतीय सैनिक और PLA यहां आपस में भीड़ गए थे। भारत और चीन के बीच समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन के बीच डिसइंगेजमेंट शुरू हो गया। शेड, टेंट जैसे अस्थायी ढांचे को हटाया जा रहा है। नए समझौते सिर्फ डेमचोक और देपसांग में लागू होंगे।