Home देश-दुनिया मिशन मोड में काम करेगी मोदी सरकार, भ्रष्ट एवं लापरवाह अधिकारियों को किया जाएगा जबरन रिटायर!

मिशन मोड में काम करेगी मोदी सरकार, भ्रष्ट एवं लापरवाह अधिकारियों को किया जाएगा जबरन रिटायर!

by admin

नई दिल्ली(ए)। मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में भ्रष्ट और आलसी अधिकारियों-कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें जबरन रिटायर करने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों और सचिवों को नर्देश दिया है कि वे मंत्रालयों के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में काम करें। यह निर्देश कैबिनेट मीटिंग में दिया गया। जहां पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान तेज करने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय सिविल सेवा (सीसीएस) नियमों का हवाला देते हुए केंद्रीय सचिवों को कर्मचारियों का मूल्यांकन करने और उनके खिलाफ शिकायत करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि ईमानदार और काम करने वाली सरकार को चुनावों में जनता पुरस्कृत करती है। उन्होंने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भाजपा की चुनावी सफलता का हवाला देते हुए जन शिकायतों के त्वरित समाधान और बेहतर शासन पर जोर दिया

शिकायतों का हो तुरंत समाधान
सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने अधिकारियों और मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि फाइलें एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर न धकेली जाएं, बल्कि उनका त्वरित समाधान किया जाए। पीएम ने अधिकारियों से सप्ताह में एक दिन शिकायतों के समाधान और राज्य मंत्रियों की प्रगति की निगरानी के लिए समर्पित करने को भी कहा है। उन्होंने ये भी कहा कि मंत्रालयों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को लोगों का जीवन आसान बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।

जनता को इस सरकार से आस
मोदी ने कहा है कि ऐसे अधिकारी और कर्मचारी जिनकी पहचान भ्रष्ट या आलसी के रूप में है, उन्हें सेवा से हटा दिया जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि मोदी ने बताया कि पिछले 10 सालों में पीएमओ को लोगों की शिकायतों सहित 4।5 करोड़ पत्र प्राप्त हुए, जबकि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के अंतिम पांच वर्षों में केवल 5 लाख ऐसे पत्र प्राप्त हुए थे।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोग शिकायतों के निवारण के प्रति अधिक आशावान हैं। पीएम मोदी ने बताया कि इनमें से लगभग 40 प्रतिशत मामले केन्द्र सरकार के विभागों और एजेंसियों से संबंधित थे, जबकि शेष 60 प्रतिशत मामले राज्य सरकार से संबंधित थे।

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