Home छत्तीसगढ़ भिलाई में यहां देखने को मिलेगी “इंद्रलोक के परियों” की आलौकिक झांकी

भिलाई में यहां देखने को मिलेगी “इंद्रलोक के परियों” की आलौकिक झांकी

by admin

भिलाई। पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार अप्सरा को एक सुंदर, अनुपम और अनेक कलाओं में दक्ष स्वर्ग में रहनी वाली अलौकिक और तेजस्वी दिव्य स्त्री माना जाता है। हमारे देश में बेटियों, महिलाओं को देवी स्वरूप माना गया है। महिलाओं को सबल, सशक्त और समर्थ बनाने देश की सरकारें अनेक योजनाओं के साथ बेटियों को बचाने और सर्वगुण सम्पन्न बनाने सदैव प्रयत्नशील रही हैं और लोगों को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जागरूक भी किया जाता रहा है। इसी थीम के मद्देनजर सुभाष नवयुवक जागृति समिति सार्वजनिक दुर्गोत्सव का यह 53वां वर्ष मनाने जा रही है। आपको बता दें कि शास्त्रों के अनुसार देवराज इन्द्र के स्वर्ग में 11 अप्सराएं प्रमुख सेविका थीं। ये 11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, रम्भा, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति और तिलोत्तमा। इन सभी अप्सराओं की प्रधान अप्सरा रम्भा थीं और इन्हीं अप्सराओं-परियों की कृति से सुसज्जित इंद्रलोक की मनोरम झांकी इस वर्ष दर्शनार्थियों के आकर्षण का केंद्र बनने जा रही है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं नेताजी सुभाष सब्जी मार्केट लाल मैदान पावर हाऊस भिलाई की, जहां सार्वजनिक दुर्गोत्सव के दौरान “इंद्रलोक के परियों” की आलौकिक झांकी देखने को मिलेगी। बंगाल के 40 कलाकार पिछले 45 दिनों से दिन रात एक कर ऐसे इंद्रलोक को साकार रूप दे रहे हैं जिसके लिए हम सभी केवल शास्त्रों में पढ़ते रहे हैं। दरअसल देवी, परी, अप्सरा, यक्षिणी, इन्द्राणी और पिशाचिनी आदि कई प्रकार की स्त्रियां इंद्रलोक में हुआ करती थीं, उनमें अप्सराओं को सबसे सुंदर और जादुई शक्ति से संपन्न माना जाता है। उन्हीं अप्सराओं की आकाशीय झांकी इस बार लाल मैदान दुर्गोत्सव में देखने को मिलेगी।

 

समिति के अध्यक्ष अरविंद कुमार गुप्ता और महामंत्री विजय सिंह ने बताया कि 120 फुट लंबे और 70 फुट ऊंचे भव्य पंडाल में इंद्रलोक का निर्माण किया जा रहा है। यह पंडाल पूर्णतः वाताकुलित होगा जिसमें प्रवेश करते ही इंद्रलोक और उसमें भ्रमण करतीं अप्सराएं और अन्य प्राणी दिखाई पड़ेंगे। दुर्गोत्सव में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी लाखों दर्शनार्थी बेहतर ढंग से माता के दर्शन कर इंद्रलोक भ्रमण कर सकें इस हेतु परिसर में दिन रात 100 से अधिक वालिंटियर्स मौजूद रहेंगे।

 

समिति के उपाध्यक्ष गोविंद सिंह राजपूत व मंत्री अनिरुद्ध गुप्ता ने बताया कि बंगाल के 40 कारीगर बांस बल्ली थर्मोकोल और फोम से इंद्रलोक तैयार कर रहे हैं। झांकी और पूजा पंडाल में पर्याप्त अग्निशमन यंत्र और चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है। हर दिन हलवा प्रसाद और भोग वितरण के आलावा दर्शनार्थी इंद्रलोक जैसे खुशनुमा वातावरण में माता अंबे के दर्शन और पूजा अर्चना का यहां लाभ ले सकेंगे।

 

संगठन मंत्री चिन्ना राव और अरविंद कानतोड़े ने बताया कि ग्राम थनौद के मूर्तिकार मिलन चक्रधारी द्वारा 13 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा का निर्माण किया गया है, 3 अक्टूबर को सुबह 9 बजे से कलश यात्रा के साथ साढ़े 11 बजे आचार्य बृजवासी महाराज द्वारा माताजी की स्थापना होगी।

समिति के पूजा प्रभारी सुधाकर कानतोड़े और रामप्रीत जायसवाल ने जानकारी दी कि 11 अक्टूबर को सुबह 10 बजे कन्या भोज, मध्यान्ह 3 बजे हवन, 12 अक्टूबर को सुबह 12 बजे से महाभण्डारा प्रसाद वितरण होगा। 13 अक्टूबर रविवार को मध्याह्न 2 बजे से विसर्जन शोभायात्रा निकलेगी। दुर्गोत्सव में प्रतिदिन प्रातः 8 बजे और शाम 7 बजे माता की महाआरती होगी जिसमें गणमान्य नागरिक और जनप्रतिनिधिगण शामिल होंगे।

 

समिति के कोषाध्यक्ष शिव कुमार प्रजापति ने बताया कि दुर्गोत्सव प्रांगण और लाल मैदान परिसर में पहुंचने वाले दर्शनार्थियों के लिए पार्किंग समेत बेहतर ढंग से माता के दर्शन का पूरा इंतजाम समिति द्वारा किया गया है। परिसर में प्रतिदिन नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया जा रहा है। आने वाले नौनिहाल बच्चों और माताओं बहनों के लिए परिसर 45 स्टाल से सुसज्जित होगा। नेत्र दान की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए नेत्र दान जागरूकता अभियान भी संचालित किया जाएगा। दर्शनार्थियों के सुरक्षार्थ परिसर में वालिंटियर और सुरक्षा गार्ड तैनात रहेंगे।

उपाध्यक्ष फत्तेलाल जंघेल और पवन सिंह ने जानकारी दी कि भक्तों द्वारा इस वर्ष पूजा पंडाल में 80 अखंड ज्योत प्रज्वलित की जा रही है। नौ दिनों में प्रतिदिन एक दिव्यांग भक्त को ट्रायसिकल वितरण भी किया जाएगा।

 

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