नई दिल्ली(ए)। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि भारत की सैन्य तैयारियां बहुत उच्च कोटि की होनी चाहिए और छोटे और तेज टकरावों के साथ-साथ लंबी अवधि के युद्धों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
बल का उपयोग करने की बढ़ी प्रवृत्ति
एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख स्तंभों के रूप में ऑपरेशनल (परिचालन) तैयारियों, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण, सैन्य हार्डवेयर के परिवर्तन और स्वदेशीकरण का जिक्र किया। जनरल चौहान ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे हिंसक दशक में राष्ट्रों के बीच संघर्षों को रोकने के लिए बल का उपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
बढ़ रहा रक्षा खर्च
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने कहा कि बढ़ती अनिश्चितता और असुरक्षा राष्ट्रों को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को नवीनीकृत करने और रक्षा पर खर्च बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है। हेडक्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की रक्षा खुफिया एजेंसी द्वारा आयोजित विदेशी सेवा अताशे (एफएसए) को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी परिचालन तैयारियां बहुत उच्च स्तर की होनी चाहिए। हमें छोटे और तीव्र संघर्षों से लेकर लंबी अवधि के युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।
सीडीएस ने दिया एआई की भूमिका पर जोर
भारत अपनी युद्ध क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है खासकर पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवाद के बाद से। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने डाटा केंद्रित युद्ध के महत्व और युद्ध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर भी जोर दिया। सीडीएस ने रक्षा क्षमता विकास और रणनीतिक स्वायत्तता में भारत की आत्मनिर्भरता के बारे में भी जानकारी दी।