नई दिल्ली(ए)। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत मानी जाती है, वहीं इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर होता है। ऐसे में इस साल पितृपक्ष की शुरुआत (Shradh Paksha 2024) मंगलवार, 17 सितंबर 2024 से हो चुकी है, जिसका समापन बुधवार, 02 अक्टूबर को होगा। पितृपक्ष के पहले श्राद्ध के दिन यानी 18 अक्टूबर को चंद्र ग्रहण का साया रहने वाला है। वहीं पितृ पक्ष की समाप्ति पर यानी 02 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।
मिलते हैं ये संकेत
यदि आपके घर में पितृ दोष लग गया है तो व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती। पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति की तरक्की भी रुक जाती है। साथ ही कारोबार में भी नुकसान होने लगता है। इतना ही नहीं एक के बाद एक दुर्घटनाएं होने लगती हैं। यह सभी संकेत पितृ दोष होने की तरफ इशारा करते हैं।
पितृदोष से मुक्ति के लिए पितृपक्ष की अवधि को सबसे उत्तम माना गया है। ऐसे में आपको पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में उनका तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध कर्म जरूर करने चाहिए। इसके साथ ही पितरों के निमित्त भोजन और जल निकालें व पितरों का आह्वान कर, उन्हें ये सभी सामग्री अर्पित कर दें। इससे पितरों की नाराजगी दूर हो सकती है।
पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और सात बार परिक्रमा करें। साथ ही वृक्ष के नीचे काले तिल डालकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पितरों का स्मरण करें। इस उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं।
इस दिशा में जलाएं दीपक
पितृपक्ष के दौरान आपको पितरों के नाम का दीया जरूर जलाना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार, दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। ऐसे में पितृपक्ष में रोजाना इस दिशा में पितरों के नाम का दीपक जरूर जलाएं। साथ ही पितृ दोष से मुक्ति के लिए जल में काले तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर अर्घ्य देना चाहिए।