नई दिल्ली(ए)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को चिंता व्यक्त की कि संवैधानिक पद पर बैठा एक व्यक्ति सर्वोच्च अदालत से स्वत: संज्ञान लेने के लिए कह रहा है ताकि “हमारी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य वाले विमर्श” को हवा दी जा सके। धनखड़ की यह टिप्पणी सेबी अध्यक्ष माधवी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर रविवार को कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार की आलोचना के बाद आई है।
राहुल गांधी ने कहा था कि बाजार नियामक की ईमानदारी से “गंभीर समझौता” किया गया है और उन्होंने मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग की। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली में आईपी कानून और प्रबंधन में संयुक्त मास्टर/एलएलएम डिग्री के पहले बैच को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने किसी का नाम लिये बगैर कहा, “पिछले सप्ताह, मुझे बहुत चिंता हुई जब एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि वह स्वतः संज्ञान लेकर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करके हमारी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य वाले विमर्श को हवा दे।”
छात्रों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा, “हमारे युवाओं को समान रूप से उन ताकतों का मुकाबला करना चाहिए और उन्हें बेअसर करना चाहिए जो पक्षपात या स्वार्थ को हमारे राष्ट्र से ऊपर रखते हैं। हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते। ऐसा होता है, यह हमारे उत्थान की कीमत पर होता है।” उन्होंने कहा, ‘‘आप कानून के छात्र हैं, मैं आपके साथ दो विचार साझा करना चाहता हूं। एक, अपने दिमाग को खंगालें और पता लगाएं। संस्था का अधिकार क्षेत्र भारतीय संविधान द्वारा परिभाषित किया गया है, चाहे वह विधायिका हो, कार्यपालिका हो, न्यायपालिका हो। अदालत का अधिकार क्षेत्र तय है।”
धनखड़ ने कहा, “दुनिया भर में देखिए, अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट, ब्रिटेन के सर्वोच्च अदालत या अन्य प्रारूपों को देखिए। क्या एक बार भी स्वतः संज्ञान लिया गया है? क्या संविधान में दिए गए प्रावधान से परे कोई उपाय बनाया गया है? संविधान मूल अधिकार क्षेत्र, अपील अधिकार क्षेत्र प्रदान करता है। इसमें समीक्षा का भी प्रावधान है। लेकिन हमारे पास उपचारात्मक उपाय हैं! अगर आप इन बारीकियों पर ध्यान नहीं देंगे, तो मुझे आश्चर्य है कि यह कौन करेगा। इसके बारे में सोचें।”