नई दिल्ली(ए)। मोदी सरकार के इस कार्यकाल के अगले बजट के दौरान देश को 1961 के आयकर कानून से मुक्ति मिल सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन ने बजट पेश करने के दौरान इस बात का संकेत दिया है। संसद में उन्होंने कहा कि अगले छह महीने में आयकर कानून 1961 की व्यापक समीक्षा की जाएगी। इस समीक्षा का उद्देश्य कानून को संक्षिप्त, स्पष्ट और पढ़ने में आसान बनाना है ताकि इसे समझना सरल हो। इससे विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आएगी, जिससे करदाताओं को कर संबंधी निश्चितता प्राप्त होगी।
गौरतलब है कि आयकर कानून 1961 की कुछ धाराओं के चलते देश में आयकर से जुड़े मुकदद्मों की भरमार है। जुलाई 2022 के आंकड़ों के मुताबिक इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल के पास आयकर के 50 लाख रूपए तक एक विवाद से जुड़े 47940 मामले पेंडिंग थे। इस से ज्यादा बड़ी रकम के मामले है कोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं। इस हिसाब से 2024 में आयकर कानून से जुड़े 50 हजार से ज्यादा मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हो सकते हैं।
कर प्रावधानों से सरकार पर 7 हजार करोड़ रूपए का बोझ
बजट के नए कर प्रावधानों से सरकार के डायरेक्ट टैक्स में 29 हजार करोड़ रूपए और इनडायरेक्ट टैक्स में 8 हजार करोड़ रूपए का नुक्सान होगा जबकि वित्त मंत्री ने नए कर लगा कर कुल 30 हजार करोड़ रूपए की वसूली का इंतजाम कर लिया है ,कुल मिला कर वित्त मंत्री ने अपने खजाने पर महज 7 हजार करोड़ रूपए का ही बोझ डाला है