लखनऊ(ए)। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक को हटा दिया है। इस निर्णय के बाद से विपक्ष के निशाने पर केंद्र सरकार आ गई थी। अब बसपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी इस फैसला का विरोध किया है।
उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से राजनीति प्रेरित है। यह देशहित में लिया गया फैसला नहीं है। आरएसएस और भाजपा के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान तल्खी बढ़ गई थी। उसको खत्म करने के लिए इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।
संघ की तुष्टीकरण के लिए लिया फैसला
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे है। यह एक राजनीति से प्रेरित निर्णय है। यह संघ तुष्टीकरण का निर्णय है, जिससे सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो सके।
1. सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे, राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय, ताकि सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो।
— Mayawati (@Mayawati) July 22, 2024
आरएसएस की गतिविधियां राजनीतिक
उन्होंने आगे लिखा कि सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है, जबकि कई बार प्रतिबन्धित रहे आरएसएस की गतिविधियां काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं। ऐसे में यह निर्णय अनुचित है। इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए।