नई दिल्ली (ए)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश के स्थानीय निकायों में पक्ष और विपक्ष के बीच संवाद बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि आम लोगों की समस्याओं का समाधान सदनों के भीतर नियोजित गतिरोध से नहीं, बल्कि आपसी संवाद से होगा। बिरला ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के कार्यक्रम में कहा,‘‘ मैं चाहता हूं कि इंदौर नगर निगम का सदन उच्च कोटि के संवाद और नवाचारों के कारण अन्य नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और पंचायतों के लिए मार्गदर्शक बने क्योंकि नियोजित गतिरोध या सदन की आसंदी के पास आकर हल्ला-गुल्ला और नारेबाजी करने से लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं होगा।”
लोगों की समस्याओं का समाधान…
उन्होंने कहा कि लोगों की समस्याओं का समाधान सदनों में पक्ष-विपक्ष के बीच संवाद के जरिये सहमति-असहमति जताने से होगा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा,‘‘सदनों में सबके विचार और मत सामने आने से हमें कार्य करने में स्पष्टता हासिल होती है, सरकार और प्रशासन की जवाबदेही तय होती है, कार्यपालिका में निष्पक्षता आती है और इसमें ईमानदारी लाने के लिए जवाबदेही भी तय की जा सकती है।”
लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है
उन्होंने भारत की सशक्त लोकतांत्रिक परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि नई दिल्ली में जी-20 संसदीय अध्यक्षों के पिछले साल आयोजित शिखर सम्मेलन (G-20) के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह लोकतांत्रिक पद्धति के बारे में चर्चा की थी जिसके बाद कई देशों के प्रतिनिधिमंडल पिछले लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के गवाह बनने के लिए भारत आए। बिरला ने कहा कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है।
स्थानीय निकाय भी जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरे
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा,‘‘स्थानीय निकायों की भी जिम्मेदारी है कि वे जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर खरे उतरते हुए इस भरोसे में इजाफा करें। इसके लिए हमें स्थानीय निकायों के सदनों में एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है।” बिरला ने यह भी कहा कि नगर निगमों की परिषदों की बैठकों की कार्यवाही भी विधानसभाओं के स्तर की होनी चाहिए जिसमें प्रश्नकाल और शून्यकाल में पानी और सीवरेज जैसी बुनियादी समस्याओं के साथ ही नवाचारों पर पूरे दिन चर्चा होनी चाहिए।