दुर्ग। जिले में लगातार बढ़ रहे लू और बुखार के मरीजों को देखते हुए कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जे.पी. मेश्राम एवं जिला सर्वेलेंस अधिकारी आईडीएसपी दुर्ग डॉ. सी.बी.एस. बंजारे के मार्गदर्शन में श्रीमती रितीका मसीह, जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट दुर्ग कॉम्बेट टीम, महिला एवं पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सुपरवाईजर, मैदानी स्तर पर मितानिन सहित एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा आम जनता को लू-तापघात से बचाव के लिए नियमित निगरानी की जा रही है। लू लगने के लक्षण जैसे सिर में भारीपन और दर्द होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक हो जाने के बाद भी पसीने का न आना, अधिक प्यास और पेशाब कम आना, भूख कम लगना, बेहोश होना उक्त स्थिति से निपटने, सभी अस्पतालों और हेल्थ सेंटर के पैरामेडिकल स्टाफ को हीट स्ट्रोक को तुरंत पहचानने और मरीज को असरदार इलाज देने के लिए हीट इलनेश मैनेजमेंट प्रीपेयर्डनेस के निर्देश दिये गए हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जे.पी. मेश्राम के अनुसार गर्मी की स्थिति निर्मित होने से वैज्ञानिक स्तर पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि गर्म हवा का दबाव 44 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो सकता है। जो कि सभी के लिए खतरनाक हो सकता है, जिसकी वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की पूर्ण संभावना है। मौसम में बदलाव के कारण सभी वर्ग के व्यक्ति प्रभावित होते हैं। प्रमुख रूप से बच्चों में सर्दी, खांसी, बुखार व उल्टी दस्त की शिकायते मिलती है। जिले में औद्योगिक क्षेत्रों में विशेष ग्रीष्म ऋतु में तापमान वृद्धि से लू की संभावना अधिक होती है। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा लू का अलर्ट जारी किया गया है। आम जनता को लू के लक्षण से अवगत कराया जाकर जन-जागरूकता लायी जा रही है।
लू से बचाव के लिए जिलेवासियों से विभिन्न उपायों को करने की अपील की गई है जैसे अधिक मात्रा में पानी पीयें, बहुत अनिवार्य होने पर घर से निकले, धूप में निकलने से पहले सिर व कानों को कपड़े से बांध लें, अधिक समय तक धूप में न रहें, गर्मी के दौरान नरम मुलायम सूती के कपड़े पहने ताकि हवा और कपडे पसीने को सोखते रहे, अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. का घोल पिये, चक्कर आने, मितली आने पर छायादार स्थान पर आराम करें। शीतल पेयजल अथवा उपलब्ध हो तो फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। लू-तापघात के प्रारंभिक उपचार जैसे बुखार पीड़ित व्यक्ति के सिर पर ठंडे पानी की पट्टी लगाएॅं, अधिक पेय पदार्थ का सेवन करें जैसे नारियल पानी, आम का पना, जलजीरा आदि। पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटा दें, खुले में हवादार एवं ठंडे स्थान में रखें। शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहें। पीड़ित व्यक्ति को यथाशीघ्र किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जाए। मितानिन, ए.एन.एम. से ओ.आर.एस. के पैकेट हेतु संपर्क करें।
सभी शासकीय चिकित्सालयों में लू के प्रबंधन हेतु निर्देश दिये गये है जैसे बाह्य रोगी विभाग में आने वाले सभी मरीजों में लू के लक्षण की जॉच अवश्य करें। प्रत्येक अस्पतालों में कम से कम दो बिस्तर इन मरीजों के लिए आरक्षित किया गया है। वार्ड में शीतलता हेतु कूलर की व्यवस्था की गयी है। प्रत्येक संस्था में ओ.आर.एस. कार्नर बनाया गया है। वार्ड में शीतलता हेतु कूलर की व्यवस्था की गयी है। प्रत्येक संस्था में ओ.आर.एस. कार्नर बनाया गया है। मितानिन व संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पर्याप्त मात्रा में दवाईयों उपलब्ध करा दी गयी है। लू-तापघात की रोकथाम व बचाव हेतु नगरीय निकाय एवं शुद्ध पेयजल हेतु लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से निरन्तर समन्वय बनाया जा रहा है।
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