नईदिल्ली (ए)। ISRO ने हाल ही में सौर विस्फोट की घटनाओं को कैप्चर किया है। इसरो के मुताबिक भारत और उसके आसपास का इलाका इस सौर तूफान की चपेट में नहीं आया है। ISRO के Aditya-L1 के अलावा चंद्रयान-2 ने भी इस तूफान को कैप्चर किया है। इन लहरों का ज़्यादातर असर अमेरिकी और प्रशांत महासागर के ऊपरी इलाकों में देखने को मिलेगा।
बताया जा रहा है कि 11 से 14 मई के बीच सूरज में चार बड़े धमाके हुए। इससे पहले 10 मई को सूरज में एक एक्टिव धब्बा दिखा। इसे AR3664 नाम दिया है। ऐसा बताया जा रहा है कि पिछली आधी सदी में ऐसी लहरें नहीं निकली। इसका असर मेक्सिको में देखने को मिल सकता है।
जानकारी के मुताबिक, इस तरह की सौर लहरों की वजह से सूरज की तरफ वाले धरती के हिस्से में हाई फ्रिक्वेंसी रेडियो सिग्नल खत्म हो जाते हैं। इस समय सूरज पर जिस जगह बड़ा सनस्पॉट बना हुआ है। वह धरती की चौड़ाई से 17 गुना ज्यादा है। सूरज की तीव्र सौर लहरों की वजह से धरती के उत्तरी ध्रुव वाले इलाके में वायुमंडल सुपरचार्ज हो गया है। जिससे पूरे उत्तरी गोलार्ध पर कई जगहों पर नॉर्दन लाइट्स देखी गईं।