लखनऊ(ए)। उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति-वर्ष 2024 को लागू करने की मंगलवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस नीति के तहत वर्ष 2028 तक एक मिलियन टन प्रतिवर्ष ग्रीन हाइड्रोजन व ग्रीन अमोनिया के उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। यह लक्ष्य पाने के लिए इस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने वालों को राज्य सरकार पांच साल तक 25-25 लाख रुपये की वित्तीय मदद सरकार देगी। यही नहीं कई अन्य छूट भी दी जाएंगी। इस नीति की मदद से पांच साल में 1.20 लाख युवाओं को रोजगार दिलाया जाएगा। कुल पांच हजार करोड़ रुपये सरकार खर्च करेगी।
40 प्रतिशत तक वित्तीय प्रोत्साहन
अभी उर्वरक और पेट्रोकेमिकल्स उद्योग में ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। ग्रे हाइड्रोजन के उत्पादन में कार्बन का उत्सर्जन होता है। यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। ऐसे में ग्रे हाइड्रोजन की बजाए ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर जोर देने को यह पॉलिसी तैयार की गई है।
हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली इस पॉलिसी के तहत इसमें स्टार्टअप शुरू करने पर सरकार पांच साल तक 25-25 लाख रुपये की वित्तीय मदद करेगी। यानी कुल 1.25 करोड़ रुपये की मदद सरकार देगी, क्योंकि ग्रे-हाइड्रोजन की कीमत ग्रीन हाइड्रोजन से कम होने के कारण ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को व्यावहारिक बनाने प्रथम पांच परियोजनाओं को 40 प्रतिशत तक वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा।
15 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष लीज का मूल्य
बाकी परियोजनाओं को अधिकतम अनुदान की सीमा में पात्र पूंजी निवेश का 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। पांच साल के लिए यह नीति लागू की गई है। इस नीति के संचालन के लिए यूपी नेडा को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
इस नीति के तहत ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए 30 वर्ष की अवधि के लिए ग्राम समाज व सरकारी भूमि लीज पर उपलब्ध कराई जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए लीज का मूल्य एक रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष होगा।
वहीं, निजी निवेशकों से 15 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष लीज का मूल्य चुकाना होगा। अगर तीन वर्ष तक ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना के लिए दी गई भूमि उपयोग में नहीं लाई जाती तो लीज रद्द कर दी जाएगी।