Home देश-दुनिया मान-मुनव्वल के बाद घर लौटे विक्रमादित्य सिंह, जानें कैसे वापस लिया इस्तीफा

मान-मुनव्वल के बाद घर लौटे विक्रमादित्य सिंह, जानें कैसे वापस लिया इस्तीफा

by admin

नई दिल्ली (ए)।  Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के लिए एक राहत भरी खबर सामने आ रही है. जानकारी के अनुसार पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने इस खबर की पुष्टी की है. राजीव शुक्ला ने बताया कि विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा वापस ले लिया है और कहा है कि आदमी बड़ा नहीं होता, संगठन बड़ा होता है. राजीव शुक्ला के अनुसार राजीव शुक्ला ने कहा है कि हिमाचल सरकार पर कोई संकट नहीं है.

विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हैं. उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत साल 2013 में की थी. वह 2013 से 2017 के बीच हिमाचल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे. वह वर्तमान में हिमाचल की कांग्रेस सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे का किया था ऐलान

गौरतलब है कि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने आज सुबह ही मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने इस्तीफे के बारे में ऐलान करते हुए उन्होंने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर से अपने पिता की तुलना करते हुए कहा था कि हिमाचल का पूरा चुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर हुआ. भारी मन के साथ कहना पड़ रहा है कि जिस व्यक्ति की वजह से हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनी, उनकी मूर्ति लगाने के लिए शिमला के मॉल रोड पर 2 गज जमीन नहीं दी. ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.

खतरे में हिमाचल की सुक्खू सरकार!

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास बहुमत होने के बाद भी मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. हिमाचल में 25 विधायकों वाली बीजेपी अपने उम्मीदवार को जीताने में कामयाब रही क्योंकि कांग्रेस के 7 विधायकों से पार्टी के खिलाफ जाकर बगावत कर डाली.

कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में वोटिंग कर डाली जिसके बाद चुनाव परिणाम बदल गए. राज्यसभा में कांग्रेस उम्मीदवार की हार के बाद राज्य सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. सियासी गलियारों में हर तरफ इस बार की चर्चा है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार गिर सकती है. बीजेपी की मानें तो सुक्खू सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है.

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