नई दिल्ली (ए)। भारत रक्षा क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर हो रहा है बल्कि कई देश भारत से रक्षा उत्पाद खरीदना चाहते हैं। कभी रक्षा उत्पादों का आयातक रहा भारत अब रक्षा निर्यातक बनकर पूरी दुनिया को अपनी क्षमता का अहसास कराने को तैयार है। फिलीपींस के साथ किए गए करार के तहत ब्रह्मोस का निर्यात किया जाना है।
भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के एंटी-शिप संस्करण की आपूर्ति के लिए जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ 37 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह भारत द्वारा किसी भी देश के साथ किया गया सबसे बड़ा रक्षा निर्यात करार है।
ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम का फिलीपींस को निर्यात
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डा. समीर वी. कामत ने गुरुवार को कहा कि भारत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए ग्राउंड सिस्टम का निर्यात अगले 10 दिनों में शुरू कर देगा। उम्मीद है कि सिस्टम की मिसाइलें मार्च तक भेजी जाएंगी।
रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है
डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा, इस निर्यात की रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। अब तक हमने, हल्के टारपीडो, रडार का निर्यात किया है। पिनाक रॉकेट सिस्टम में भी कई देशों ने रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने भारतीय रक्षा बलों के लिए 4.94 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पाद विकसित किए हैं। इन उत्पादों को या तो सेना में शामिल किया गया है या रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) प्राप्त हुई है।
विश्व की सबसे तेज क्रूज मिसाइल
इनमें से 60 से 70 प्रतिशत से अधिक उत्पाद पिछले पांच से सात वर्षों में विकासित किए गए हैं। ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को भारत-रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा डिजाइन और विकसित किया है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। यह ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना गति वाली विश्व की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है।
इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है। मिसाइल के अगली पीढ़ी के संस्करण में छोटे, हल्के और अधिक स्मार्ट हैं जिन्हें आधुनिक सैन्य प्लेटफार्मों पर तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है।
सेना चीन-पाकिस्तान सीमा पर तोपों को तैनात करेगी
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव के बीच सेना जल्द ही चीन और पाकिस्तान सीमा पर एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) तोपों को तैनात करेगी। डीआरडीओ के अध्यक्ष ने कहा कि 307 एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) का पहला आर्डर चालू वित्तीय वर्ष के अंत से पहले दे दिया जाएगा।
31 मार्च से पहले दिया जाएगा 307 हावित्जर तोपों का ऑर्डर
डीआरडीओ के अध्यक्ष ने कहा, एटीएजीएस ने सभी परीक्षण पूरे कर लिए हैं। अनुमान है कि 307 तोपों के लिए ऑर्डर इस वित्तीय वर्ष में 31 मार्च से पहले दिया जाएगा। स्वदेशी 155 मिमी 3 52 कैलिबर हावित्जर तोप को डीआरडीओ ने दो प्राइवेट भागीदारों टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और भारत फोर्ज लिमिटेड के साथ विकसित किया है।
एटीएजीएस का परीक्षण 26 अप्रैल से दो मई तक
इससे पहले, पिछले साल मार्च में रक्षा मंत्रालय को चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर तैनाती के लिए 307 एटीएजीएस खरीदने के लिए भारतीय सेना से प्रस्ताव मिला था। एटीएजीएस का परीक्षण 26 अप्रैल से दो मई, 2023 के बीच पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में पूरा किया गया था। एटीएजीएस स्वदेशी आर्टिलरी गन सिस्टम परियोजना है। इस परियोजना को सेना के तोपखाने के आधुनिकीकरण के तौर पर डीआरडीओ द्वारा मिशन मोड में शुरू किया गया है।