नई दिल्ली (ए)। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर,23 में बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई। नवंबर,23 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.55 प्रतिशत और दिसंबर,22 में 5.72 प्रतिशत थी। सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी खुदरा मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर,23 में खाद्य वर्ग की कीमतें कुल मिलाकर सालाना आधार पर 9.53 प्रतिशत ऊंची थीं। नवंबर,23 में खाद्य मुद्रास्फीति 8.7 प्रतिशत और पिछले साल दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति के निर्धारण में खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है और उसे खुदरा महंगाई दर को 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में सीमित रखने का लक्ष्य दिया गया है। खुदरा मुद्रास्फीति इस समय इस सीमा के अंदर ऊपर की ओर है, पर इसका दबाव बढ़ने से केंद्रीय बैंक के लिये नीतिगत ब्याज दर में कमी करना कठिन होगा। रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर इस समय 6.5 प्रतिशत है, जिस पर वह बैंकों को तात्कालिक नकदी उधार पर देता है। पिछले कुछ महीनों में, मुख्य रूप से सब्जियों और फलों की ऊंची कीमतों के कारण मुद्रास्फीति में वृद्धि देखी गई है। मौसम संबंधी आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान भी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का एक करण था।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि दिसंबर 2023 में सब्जियों के वर्ग की मुद्रास्फीति 27.64 प्रतिशत और फलों के वर्ग की मुद्रास्फीति 11.14 प्रतिशत थी। संबर में ईंधन और बिजली के वर्ग में कीमत स्तर सालाना आधार पर 0.99 प्रतिशत घटा । नाइट फैंक इंडिया के निदेशक, अनुसंधान, विवेक राठी ने कहा कि खाद्य कीमतों में लगातार वृद्धि से दिसंबर 2023 में मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई , लेकिन मुख्य (विनिर्मित उत्पाद वर्ग की) मुद्रास्फीति में नरमी जारी रही है। उन्होंने इसे परिवारों के लिए मूल्य दबाव कम होने का संकेत बताया है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने इन आंकड़ों पर कहा कि चावल, गेहूं और दालों जैसी कुछ वस्तुओं की कीमतों का दबाव बना हुआ है तथा ख़रीफ़ उत्पादन में अनुमानित गिरावट के साथ-साथ अल नीनो के प्रभाव से चालू रबी की बुआई भी प्रभावित होने के आसार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा अनुमान है कि तुलनात्मक आधार के प्रभाव के कारण जनवरी 2024 का खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा कम होकर 5.2 प्रतिशत तक आ सकता है।
केयरएज रेटिंग की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि दिसंबर में ईंधन एवं बिजली वर्ग में मुद्रास्फीति में कमी का सिलसिला जारी रहने तथा, मुख्य मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत नीचे रहने से आलोच्य माह के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि सीमित हुई।
एमकी ग्लोबन फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि अनुमान है कि दिसंबर,23 में मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति और घट कर 3.77 प्रतिशत पर आ गई लेकिन खाद्य कीमतों पर निगाह बनाये रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में खुदरा मुद्रास्फीति करीब 5.2 प्रतिशत (चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 5.37 प्रतिशत) और मुख्य मुद्रास्फीति कम हो कर चार प्रतिशत के आस पास (चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 4.42 प्रतिशत) रहेगी।” रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।