Home छत्तीसगढ़ भले ही जान चली जाए लेकिन अपने धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए, वीर बाल दिवस हमें यही संदेश देता है : रिकेश सेन

भले ही जान चली जाए लेकिन अपने धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए, वीर बाल दिवस हमें यही संदेश देता है : रिकेश सेन

by admin
  • भले ही जान चली जाए लेकिन अपने धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए, वीर बाल दिवस हमें यही संदेश देता है-रिकेश सेन
  • नानकसर गुरूद्वारा नेहरू नगर में वीर बाल दिवस पर अनेक आयोजन
  • “लासानी शहीदों की दास्तान” पुस्तक का विधायक सेन ने किया विमोचन

भिलाई नगर, 26 दिसंबर। गुरूद्वारा नानकसर नेहरू नगर में आज सफर-ऐ-शहादत 26 दिसम्बर वीर बाल दिवस कार्यक्रम में पहुंचे वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन का गुरूद्वारा प्रबंध समिति के प्रधान सुरेंदर सिंघ, जसबीर सिंह चहल, परविंदर सिंघ रंधावा, गुरजीत सिंघ गांधी, मुखविंदर सिंघ, धरमेंदर सिंघ, जसबीर सिंघ सैनी, हरभजन सिंघ ने स्वागत किया।

गुरूद्वारा समिति की ओर से परविंदर सिंघ बिंद्रा ने बताया कि दिसंबर का यह महीना सभी सिख परिवारों के लिए शोक का महीना होता है। मुगल शासन काल के दौरान पंजाब में सिखों के नेता गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे, उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था। 1699 में गुरू गोबिंद सिंघ ने खालसा पंथ की स्थापना की। धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय के लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी, गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, सभी खालसा का हिस्सा थे। उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था। वीर बाल दिवस खालसा के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। अंतिम सिख गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बच्चों ने अपनी आस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। यह उनकी कहानियों को याद करने का भी दिन और यह जानने का भी दिन है कि कैसे उनकी निर्मम हत्या की गई-खासकर जोरावर और फतेह सिंह की। सरसा नदी के तट पर एक लड़ाई के दौरान दोनों साहिबजादे को मुगल सेना ने बंदी बना लिया था और इस्लाम धर्म कबूल नहीं करने पर उन्हें क्रमशः 8 और 5 साल की उम्र में कथित तौर पर जिंदा दीवार में चुनवा दिया था। उनकी शहादत का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा, जिसके लिए सिख समुदाय ने भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद ज्ञापित किया है।

आज गुरूद्वारा नानकसर में सिक्खों की वीरता और शहादत को लेकर ड्राइंग प्रतियोगिता तथा खालसा पंथ की वीरता को प्रदर्शित करती कविताएं और गीत प्रतियोगिता हुई। छोटे छोटे बच्चों ने साहिबजादों की जीवनी और वीरता से संबंधित जानकारियों को अपने गीत और कविता को माध्यम से प्रस्तुत किया। सभी बालक निहंग सिक्ख तथा बालिकाएं सिक्ख वेशभूषा में पहुंची थीं। प्रतियोगिता में सैकड़ों की संख्या में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन किया।

विधायक रिकेश सेन ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंघ के साहिबजादों ने जिस वीरता से अपनी शहादत दी, वह कई सदियों शताब्दियों तक याद करने और नमन करने योग्य है। आज के इस आयोजन में जब बच्चे घर से बाबा जोरावर और फतेह सिंघ की वेशभूषा में घर से निकले होंगे तो उन्होंने निश्चित तौर पर अपने माता-पिता से उन वीर साहिबजादों का इतिहास जरूर पूछा होगा। आज का वीर बाल दिवस हम सबको यह संदेश देता है कि भले ही जान चली जाए लेकिन अपने धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए। वीर बाल दिवस पर आयोजित प्रतियोगिता में सभी विजेता बच्चों को विधायक रिकेश सेन ने पुरस्कृत किया। इस अवसर पर गुरू गोबिंद सिंघ स्टडी सर्कल द्वारा प्रकाशित पुस्तक “लासानी शहीदों की दास्तान” का विमोचन भी विधायक रिकेश सेन द्वारा किया गया।

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