Home देश-दुनिया आज नहाय खाय से हुई छठ महापर्व की शुरुआत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और पूजन सामग्री

आज नहाय खाय से हुई छठ महापर्व की शुरुआत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और पूजन सामग्री

by admin

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से छठ महापर्व की शुरुआत होती है. यह पर्व 4 दिनों तक चलता है. इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है. आज इसका पहला दिन है.

नहाय खाय का संबंध शुद्धता से

नई दिल्ली(ए)।  नहाय खाय की परंपरा निभाई जाती है. आज के दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं. इस भोजन को बहुत शुद्ध और पवित्र माना जाता है. नहाय खाय का संबंध शुद्धता से है. इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ का व्रत शुरु करती हैं.

आज के दिन कद्दू-भात खाने का विशेष महत्व

कद्दू की सब्जी को पूरी तरह से सात्विक माना जाता है. इसलिए यही खाकर छठ पूजा व्रत की शुरुआत की जाती है. माना जाता है कि इसे खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. सेहत के लिहाज से कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है. यही वजह है कि छठ व्रती आज कद्दू का सेवन करते हैं.

ऐसे होती है नहाय खाय की शुरुआत

आज के दिन छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.

छठ महापर्व का पहला दिन आज

चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का आज पहला दिन है. इसे नहाय खाय कहा जाता है. नहाय खाय का अर्थ है स्नान करके भोजन करना. इस महापर्व में महिलाएं संतान के सुख और उसकी लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है. आज के दिन शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है.

Chhath Puja Nahay Khay 2023: चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की आज से शुरुआज हो चुकी है. आज इस महापर्व का पहला दिन है जिसे नहाय खाय कहा जाता है. सप्तमी तिथि के दिन यानी कि 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा. आस्था के इस महापर्व में महिलाएं संतान सुख, उसकी लंबी उम्र और उज्जवल भविष्य की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती है. नहाय खाय का अर्थ है स्नान करके भोजन करना. आज के दिन कद्दू-भात यानी चावल खाने का विशेष महत्व होता है.

नहाय- खाय की परंपरा

दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय- खाय की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है. इस बार 17 नवंबर से छठ पूजा की शुरुआत होगी. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है. इसके बाद छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.

नहाय खाय का महत्व

दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है. आज के दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चनादाल और कद्दू (लौकी या घीया) प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं. इस भोजन को बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है. इस दिन एक समय नमक वाला भोजन किया जाता है. मूल रूप से नहाय खाय का संबंध शुद्धता से है. इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ का व्रत शुरु करती हैं.

नहाय खाय के नियम

नहाय खाय के दिन व्रती पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि इस पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व है. साथ ही व्रतियों के भी पवित्र नदी या तालाब में स्नान का विधान है. इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं. साफ-सफाई और शुद्धता के साथ पहले दिन का नमक युक्त भोजन बनाया जाता है. बनाते वक्त किसी भी जूठी वस्तु का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. छठ के चारों दिन जो घर में व्रत नहीं रखते उन्हें भी सात्विक भोजन करना होता है.

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