नई दिल्ली(ए)। Happy Diwali 2023 Wishes Laxmi Pujan Vidhi Live: आज दीपोत्सव का महापर्व दिवाली का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। 5 दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और पांचवें दिन भाईदूज पर इसका समापन होता है। दिवाली पर कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ विघ्नहर्ता श्रीगणेश और कुबेर देवता की पूजा होती है। पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या की रात को मां लक्ष्मी वैकुंठ धाम से पृथ्वीलोक भ्रमण पर आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किसका घर साफ और सुंदर है।
दीपावली की रात 13 जगहों पर जलाएं दीपक
1- घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ 2- घर के पास स्थित चौराहे पर 3- तुलसी के पौधे के पास 4- घर के आंगन में 5- घर के छत पर 6- घर के मंदिर में दीपक 7- घर की रसोई में 8- पीपल के पेड़ के नीचे 9- तिजोरी में 10- नदी या तालाब के किनारे 11- कूएं या नलकूप के पास 12- घर के चारों कोनों में चारमुख वाले दीपकल 13- स्टोर रूम और बाथरूम
महाराष्ट्र शुभ मुहूर्त
मुंबई 06 बजकर 14 मिनट – 08 बजकर 14 मिनट तक
पुणे 06 बजकर 11 मिनट – 08 बजकर 11 मिनट तक
औरंगाबाद 06 बजकर 02 मिनट – 08 बजकर 02 मिनट तक
अमरावती 06 बजकर 12 मिनट – 08 बजकर 10 मिनट तक
सांगली 06 बजकर 10 मिनट – 08 बजकर 11 मिनट तक
दिवाली पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसे में पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
फिर इस चौकी पर बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें।
कलश को अनाज के बीच में रखें।
कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें।
कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें।
बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।
एक छोटी-सी थाली में चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें दें।
इसके बाद अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें।
अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। इसके साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं।
अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें।
अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें।
हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ाएं।
लक्ष्मी जी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं।
मूर्ति को फिर से पानी से स्नान कराकर, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें।
मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें। माला को देवी के गले में डालकर अगरबत्ती जलाएं।
नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें।
देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें।
थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें।
मां लक्ष्मी की आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।