नई दिल्ली (ए)।
लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार को नए संसद भवन में आरंभ हुई और इसके साथ ही भारत के संसदीय इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों- अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी तथा अन्य नेताओं के साथ पुरानी इमारत से निकलकर नए संसद भवन में पहुंचे। इससे पहले पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों का एक साथ फोटो शूट हुआ। नई संसद भवन की बिल्डिंग को बनाने के लिए करीब 971 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। नए संसद भवन को मोदी सरकार ने सेंट्रल विस्टा योजना के तहत बनवाया है। पुराने संसद भवन गोलाकार आकार का है जबकि नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार का है। आईए जानते हैं ऐसा क्यों है…
त्रिकोणीय भूखंड पर बना त्रिकोणीय भवन
पुराने संसद भवन और नए संसद भवन में सबसे बड़ा अंतर आकार में है। पुराना संसद भवन गोलाकार आकार का है और नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार का है। ऐसा क्यों? सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की वेबसाइट के मुताबिक त्रिकोणीय आकार कम से कम स्थान के इस्तेमाल के सुनिश्चित करने के लिए है। नए संसद भवन के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने बताया था कि नया संसद भवन के आकार का संबंधन वैदिक संस्कृति और तंत्रशास्त्र से जुड़ा हुआ है। सबसे पहली बात तो ये है कि त्रिकोणीय भूखंड पर स्थित है जिसके तीन हिस्से हैं- लोकसभा, राज्यसभा और एक सेंट्रल लाउंज।
पवित्र ग्रंथों में त्रिभुज आकार का महत्व
त्रिकोणीय आकार देश के अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों में पवित्र ज्यामिति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इसका धार्मिक महत्व भी है। हमारे कई पवित्र ग्रंथों में त्रिभुज के आकार का महत्व है। श्रीयंत भी तिकोने आकार का है और तीन देवता या त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) भी त्रिभुज के प्रतीक हैं। इसीलिए तिकोने आकार का नया संसद भवन बेहद पवित्र और शुभ है।
कमल-मोर की थीम पर तैयार हुआ है नया संसद भवन
नया संसद भवन परिसर में पहले से ज्यादा सुविधाएं और हाईटेक व्यवस्था है। लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर तैयार किया गया है और इसमें बैठने के लिए 888 सदस्यों की व्यवस्था की गई है। राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर तैयार किया गया है और इसमें 348 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। वहीं, संयुक्त सत्र के लिए 1,272 सीटों वाला हॉल बनाया गाय है। नए संसद भवन के 4 दरवाजे बनाए गए हैं।