नई दिल्ली (ए)। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को नई संसद की लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया। पीएम मोदी ने लोकसभा के बाद राज्यसभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बिल पर अपने विचारों को रखा। हालांकि उनके बयान पर सदन में हंगामा हुआ। दरअसल, खरगे ने SC, ST और OBC महिलाओं का मुद्दा उठाया और कहा कि राजनीतिक दल की आदत कमजोर महिलाओं को चुनने की है। उनके इस बयान पर सत्तापक्ष के सांसदों ने आपत्ति जताई और हंगामा किया। मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा?
कांग्रेस सांसद खरगे ने कहा, अनुसूचित जाति (SC) की महिलाओं की साक्षरता दर कम है और यही कारण है कि राजनीतिक दलों को कमजोर महिलाओं को चुनने की आदत है और वे उन लोगों को नहीं चुनेंगे जो शिक्षित हैं और लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, मेरा कहना ये है कि कमजोर वर्ग के लोगों को हमें टिकट देते हैं। मैं सब पार्टी के लिए बोल रहा हूं। हिंदुस्तान की हर पार्टी में ऐसा है। इसी वजह से महिलाएं पीछे हैं। आप उनको बात करने नहीं देते, आप उनको कभी भी आगे बढ़ने नहीं देते।
सीतारमण ने जताई आपत्ति
खरगे के इस बयान पर सत्तापक्ष ने पलटवार किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार की ओर से मोर्चा संभाला और खरगे की बातों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, हम विपक्ष के नेता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह व्यापक बयान देना कि सभी पार्टियां उन महिलाओं को चुनती हैं जो प्रभावी नहीं हैं, बिल्कुल अस्वीकार्य है। प्रधानमंत्री जी और हमारी पार्टी ने हम सभी को सशक्त बनाया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मुजी सशक्त महिला हैं। हमारी पार्टी की प्रत्येक महिला सांसद सशक्त है। मैं खरगे के बयान पर आपत्ति जताती हूं। लोकसभा में महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी 181 सीटें
विधायिका में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधानों वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक, 2023 लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया। अर्जुन राम मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करते हुए कहा कि संसद के नव निर्मित भवन में पहले दिन की कार्यवाही के ऐतिहासक दिन को यह विधेयक प्रस्तुत किया जा रहा है। अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त होगा और आरक्षण के बाद लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़कर कम से कम 181 हो जायेगी। सदन में अभी 82 महिला सदस्य हैं । उन्होंने कहा कि विधेयक 33 प्रतिशत महिला आरक्षण में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का भी प्रावधान होगा। श्री मेघवाल ने कहा कि विधेयक के प्रावधान के अनुसार महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 15 वर्ष तक आरक्षण रहेगा।