Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ महिला आयोग की संवेदनशील पहल : मां को उसके नाबालिग बच्चे से मिलाया 

छत्तीसगढ़ महिला आयोग की संवेदनशील पहल : मां को उसके नाबालिग बच्चे से मिलाया 

by Surendra Tripathi

आधी रात को महिला आयोग ने की सुनवाई 

रायपुर.

छत्तीसगढ़ महिला आयोग की सक्रियता से एक मां को उसके बच्चे से मिला दिया। इस संवेदनशील प्रकरण में आपात परिस्थितियों में महिला आयोग ने आधी रात को सुनवाई की और नाबालिग बच्चे को आवेदिका मां को सौपने का निर्णय दिया।
महिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसने विभिन्न न्यायालयों में बच्चे की कस्टडी पाने के लिए आवेदन किया, लेकिन बच्चे के पिता ने किसी भी न्यायालय में उपस्थिति नहीं दी और लगातार न्यायालयों की अवहेलना कर रहा था। जिस पर उच्च न्यायालय ने आवेदिका को पुनः प्रकरण लगाने का निर्देश दिया गया। इसलिए आवेदिका ने महिला आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया। यहां भी उसके पति लगातार 2 सुनवाई में अनुपस्थित रहे। इसके बाद पुलिस अधीक्षक धमतरी के विशेष सहयोग से उसके पति और बच्चे को आयोग के समक्ष उपस्थित कराया गया। यहां बाल संरक्षण आयोग की उपस्थिति में 8 वर्षीय नाबालिग बच्चे की काउंसलिंग की गई। काउंसलिंग में बच्चे के व्यवहार से पता चला कि उसके अंदर पिता ने आपराधिक भावनाएं भरी थी। इसके बाद नाबालिग बालक को बाल कल्याण समिति माना में भेजा गया था ताकि उसके मन-मस्तिष्क से नकारात्मक बातें समाप्त हो सके।
अनावेदक पति ने बाल कल्याण समिति के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर पुनः अस्थायी अभिरक्षा प्राप्त कर लिया। अनावेदक ने बाल कल्याण समिति में बच्चे को आयोग की सुनवाई में उपस्थित रखने का शपथ पत्र भी दिया था लेकिन  06 फरवरी 2023 को आयोग की बैठक में बच्चे को अनुपस्थित रखा और बहाने करता रहा। लगातार 6 घण्टे इंतजार करने के बावजूद बच्चे को उपस्थित नहीं करने पर अंततः महिला आयोग की ओर से पुलिस अधीक्षक रायपुर से टेलीफोनिक चर्चा की गई। इसके बाद पुलिस अधीक्षक रायपुर और उनकी टीम ने रात 10ः30 बजे बच्चे को प्राप्त किया और आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक से टेलीफोन पर चर्चा की। मामला नाजुक और संवेदनशील होने पर आयोग की अध्यक्ष ने तत्काल अपने कार्यालय में प्रकरण की सुनवाई की। चूंकि अनावेदक लगातार लापरवाही और न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करता आ रहा था, अतः आधी रात तक चली कार्यवाही में निर्णय लिया गया कि नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा अनावेदक के हाथ में देना उचित नहीं है। इसलिए नाबालिग बच्चे को आवेदिका बच्चे की मां को दिया जाना चाहिये। यह पहला मौका था जब ऐसी आपात स्थिति में संवेदनशील मामले में महिला आयोग ने आधी रात को कार्यवाही की। इस कार्य को त्वरित रूप से पूर्ण करने में पुलिस प्रशासन एवं उनकी पूरी टीम को आयोग की अध्यक्ष द्वारा धन्यवाद पत्र प्रेषित किया गया।

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