Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति को सहेज रही छत्तीसगढ़ सरकार

छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति को सहेज रही छत्तीसगढ़ सरकार

by Surendra Tripathi

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर कवि-गोष्ठी, गोठ-बात कार्यक्रम सम्पन्न

रायपुर-

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर आज राजधानी रायपुर स्थित महंत घासीदास संग्रहालय के सभाकक्ष में कवि-गोष्ठी, गोठ-बात कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

कवि गोष्ठी में चर्चा के दौरान साहित्यकारों ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति और परंपरा को सहेजने का काम कर रही है। सरकार इन प्रयासों से पिछले चार वर्षों में छत्तीसगढ़ी के प्रति लोगों की रूचि बढ़ी है। लोग अब कहीं भी छत्तीसगढ़ी बोलने-बताने में हिचकिचाते नहीं है। छत्तीसगढ़ी भाषा को राज्य में और अधिक सम्मान मिला है।

साहित्यकारों ने कहा कि अभी भी राजभाषा को आगे लाने के लिए काम करने की जरूरत है। साहित्यकारों ने कहा कि छत्त्तीसगढ़ी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए हम सबको साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। हम सबकी सहभागिता से छत्तीसगढ़ी भाषा एक दिन जरूर 8वीं अनुसूची में शामिल होगी।

साहित्यकारों ने कहा कि पहले लोकल से ग्लोबल हुआ करता था, लेकिन आज जमाना बदल गया है। अब ग्लोबल से लोकल होने लगा है, इसलिए लोकल भाषा भी रोजगार की दृष्टिकोण से जरूरी है।

साहित्यकारों ने कहा कि भाषा वहां की संस्कृति की सूचक है। भाषा जितनी समृद्ध होगी, संस्कृति भी उतनी ही समृद्ध होगी। इसलिए छत्तीसगढ़ी भाषा को उनके मूल रूप में लाने की आवश्यकता है। कुछ साहित्यकारों ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा की समृद्धि को लेकर सामाजिक स्तर पर प्रयास होने लगा है। राज्य सरकार ने भी विशेष रूप से पहल शुरू की है। अब प्रदेश में मुख्यमंत्री की पहल से छत्त्सीसगढ़ी कला-संस्कृति, रीति-रिवाज के प्रति वातावरण बनने लगा है। छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने हम सबको आगे आना चाहिए।

गोठ-बात के दौरान छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण, सांस्कृतिक तत्व और लोकनायक, महापुरूष पर लेखन, छत्तीसगढ़ी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने, राजकाज और पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी विषयों पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य, राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अनिल भतपहरी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री परदेशी राम वर्मा, श्री जागेश्वर प्रसाद, डॉ. शौरीन चन्द्रसेन, श्री नंदकिशोर शुक्ला, डॉ. जे.आर.सोनी, श्री पीसीलाल यादव, श्री डुमन लाल ध्रुव, श्री वैभव बेमेतरिहा सहित बडी संख्या में साहित्यकार, कलाकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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