Home छत्तीसगढ़ कागजों में सिमटकर रह गया सरकार का श्रम कानून : एच. एस. मिश्रा

कागजों में सिमटकर रह गया सरकार का श्रम कानून : एच. एस. मिश्रा

by Surendra Tripathi

00 जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर बरसे वरिष्ठ श्रमिक नेता
00 कहा थम नहीं रहा मजदूरों के मौलिक अधिकारों का हनन

भिलाई । हिंद मजदूर सभा ( एचएमएस ) के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने कहा कि सरकार द्वारा बनाए गए श्रम कानून कागजों में सिमटकर रह गए हैं। भिलाई – दुर्ग सहित पूरे छत्तीसगढ़ में मजदूर वर्ग के मौलिक अधिकारों का हनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों की ओर से मजदूरों के लिए लोक लुभावन वादे किए जाते हैं। लेकिन सत्ता मिलते ही मजदूरों को उनके हक दिलाने की पहल कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं करता। मजदूरों को एकजुट होकर इनका पुरजोर विरोध करना चाहिए। प्रदेश के वरिष्ठ श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने जारी बयान में कहा कि बढ़ती मंहगाई की मार से मजदूर वर्ग बेहद हलाकान है। चाहे केंद्र हो या राज्य की सरकार, किसी के द्वारा भी मजदूरों को उनका मौलिक अधिकार दिलाने की दिशा में कोई पहल नहीं किया जा रहा है। सरकारें मजदूरों के लिए कानून तो बनाती है। लेकिन उसका पालन हो भी रहा है या नहीं, इसे देखने वाला कोई नहीं है। चुनाव के समय नेता आते हैं और मजदूरों को उनका हक दिलाने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधि बनने के बाद वे पूंजीपतियों के हित में काम करने लगते हैं।
उन्होंने बताया कि श्रम कानून में मजदूरों के लिए  न्यूनतम वेतन 8 घंटे के लिए 399 रुपए प्रतिदिन है। हेल्फर को 418 रुपए मिस्त्री, वेल्डर, फीटर, ड्राइवर, कारपेंटर आदि को 418 रुपए तथा हाई स्कील्ड कर्मचारी को 478 रुपए प्रतिदिन मेहनताना मिलना चाहिए। अगर कोई वरिष्ठ फेब्रिकेटर, मार्किंग फीटर और वेल्डर 18 हजार, 20 हजार व 30 हजार रुपए मासिक वेतन पर काम कर रहा है तो उसे 8 घंटे की कार्यावधि के बाद डबल रेट में ओवर टाइम मिलना चाहिए। कारखाना या कंपनी हो या कोई भी संस्थान हो उसके प्रबंधन को मजदूरों के लिए नियमानुसार बोनस देना चाहिए।  एक से 10 तारीख के बीच वेतन देना चाहिए। इसके साथ ही पीएफ व ईएसआई की सुविधा भी देनी चाहिए। लेकिन लगभग 80 प्रतिशत संस्थानों में इन नियम कायदों का पालन नहीं किया जा रहा है। बहुत सारे संस्थान और कंपनी में 12 के बजाय 24 प्रतिशत पीएफ की कटौती मजदूरों के वेतन से की जाती है, जो सरासर गलत है। इसके बाद भी सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।

श्री मिश्रा ने कहा कि मजदूरों को सुरक्षा उपकरण, हाइट एलाउंस, आवास भत्ता, परिचय पत्र, हाजिरी कार्ड उपलब्ध कराने में भी कंपनी प्रबंधन और ठेकेदारों में किसी तरह की गंभीरता दिखाई नहीं पड़ रही है। ऐसे कंपनी प्रबंधन और ठेकेदारों से लड़ाई लड़ने के लिए मजदूरों को एकजुट होना पड़ेगा। एचएमएस यूनियन मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए हमेशा संघर्ष में आगे रहा है। आज पूरे छत्तीसगढ़ में सैंकड़ों कंपनी और औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारी व मजदूर एचएमएस यूनियन पर भरोसा कर अपना हक व लाभ हासिल करने में सफल रहे हैं। एचएमएस यूनियन ने मजदूरों के हक और अधिकार के लिए संघर्ष किया है और आगे भी करती रहेगी।
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