Home खास खबर ‘खत्म करना है भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद’- PM मोदी

‘खत्म करना है भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद’- PM मोदी

by Surendra Tripathi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9वीं बार लाल किले से देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने 83 मिनट के अपने भाषण में कई बड़ी बातें कहीं। पीएम मोदी ने देश के सामने पंच प्रण रखे, वहीं नारी शक्ति और नारी के सम्मान की भरपूर वकालत की। पीएम मोदी ने देश के अगले 25 साल का खाका भी खिंचने की कोशिश की। पीएम ने बताया कि हमें एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर चलना होगा। इसके लिए क्या-क्या करना होगा, यह बताया। हर नागरिक को उसकी जिम्मेदारी का अहसास करवाया चाहे वो खुद प्रधानमंत्री हो या किसी राज्य का मुख्यमंत्री। यहां पढ़िए पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें-

ये ठीक है कि चुनौतियां बहुत हैं। अगर इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं, तो इतने ही समाधान भी हैं। मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है। निर्धारित लक्ष्य के साथ, संकल्प के प्रति समर्पण के साथ जब 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ते हैं, तो हिंदुस्तान 130 कदम आगे बढ़ जाता है।देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती – भ्रष्टाचार, दूसरी चुनौती – भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनके पास चोरी किया माल रखने की जगह नहीं है। ये स्थिति अच्छी नहीं है।

जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है।

भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।

पिछले 8 वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा आधार, मोबाइल जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग करते हुए, गलत हाथों में जाने वाले 2 लाख करोड़ रुपये को बचाकर उन्हें देश की भलाई में लगाने में हम कामयाब हुए हैं।

जय जवान, जय किसान का लाल बहादुर शास्त्री जी का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है।

अटल जी ने जय विज्ञान कह कर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी। लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है, वो है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।

आज देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्मनिर्भर की बात को संगठित स्वरूप में, साहस के स्वरूप में, सेना के जवानों और सेनानायकों ने जिस जिम्मेदारी के साथ कंधे पर उठाया, उनको आज मैं सैल्यूट करता हूं।

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