बीते कई सालों से तीन पीढ़ियों का एक ही दर्द। जमीन तो है लेकिन कितनी है, कहां है कोई रिकॉर्ड नहीं। खेती तो करते हैं लेकिन केसीसी ना होने से लोन नहीं मिल सकता। फसल है पर बिक्री की व्यवस्था नहीं। अबूझमाड़ के कोहकमेटा गांव के किसान मसियाराम कोड़े हों, पंडरूराम या मोहन धनेरिया…. परेशानी सबकी एक ही है। अबूझमाड़ क्षेत्र में सर्वे ना होने की वजह से इनकी जमीन का राजस्व रिकॉर्ड में कहीं कोई उल्लेख नहीं था। इस वजह से किसी भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल पाता था। लेकिन आज अबूझमाड़ क्षेत्र के 1121 किसानों के चेहरे पर उस वक्त खुशियां बिखर गईं जब मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छोटेडोंगर में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में किसानों को मसाहती पट्टा का वितरण किया।
अबूझमाड़ के किसान मसियाराम कोड़े बताते हैं कि बारिश हो जाये तो ठीक वरना भगवान भरोसे ही खेती थी अब तक। खेत में पंप ना होने की वजह से सिंचाई की सुविधा नहीं है। लेकिन अब पट्टा मिल गया है तो जल्द ही खेत मे सोलर पंप लग जायेगा। उनके साथ ही अन्य किसानों का भी केसीसी बन जाने से अब वे सभी खेती के लिए लोन ले पाएंगे। मसियाराम ने बताया कि अब तक खुले बाजार में 10 से 15 रुपये में धान बेच देते थे। लेकिन अब सोसायटी में पंजीयन हो जाएगा और समर्थन मूल्य पर धान बेच पाएंगे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर अबूझमाड़ क्षेत्र के गांवों में राज्य सरकार द्वारा प्राथमिकता के साथ सर्वे का काम तेजी से किया जा रहा है। नारायणपुर के ओरछा विकासखंड में 16 गांव जहां राजस्व सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो चुका है, वहां किसानों को मसाहती पट्टों का वितरण किया गया है। मसाहती पट्टा मिलने के बाद ऐसे किसानों को अब शासन की योजनाओं का लाभ भी मिलने लगेगा। किसानों को केसीसी का वितरण भी किया गया जिससे वे अब बैंक से लोन भी ले पाएंगे।
अब मिलेगा शासकीय योजनाओं का लाभ – मसाहती पट्टा मिलने के बाद अबूझमाड़ के किसानों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा। सोसायटी में पंजीयन हो सकेगा और धान बेच पाएंगे। किसानों के खेत मे अब डबरी निर्माण, सिंचाई हेतु सोलर पंप की सुविधा, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ मिल पायेगा। कृषि विभाग से अब किसानों को विभिन्न फसलों के बीज वितरण के साथ-साथ मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। किसानों के खेत में ड्रिप लाइन बिछायी जा रही है और पॉली हाउस बनाया गया है।
ऐसे हो रहा सर्वे – गांवों का सर्वे करने के लिए जिला प्रशासन की टीम सबसे पहले गाँव की जीपीएस लोकेशन आईआईटी रुड़की को भेजती है। आईआईटी की टीम सैटेलाइट के माध्यम से बड़े एरिया का मैप बनाकर भेजती है। फिर यहां राजस्व विभाग द्वारा मैप में गांव और खेत की बाउन्ड्री का निर्धारण किया जाता है। फिर सॉफ्टवेयर के माध्यम से खेत को लोकेट करके एरिया निकाला जाता है। इसके बाद दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के बाद पट्टे का निर्धारण होता है।