Home खास खबर नक्सलियों ने पति को मारा लेकिन रीता की हिम्मत को नहीं मार पाए

नक्सलियों ने पति को मारा लेकिन रीता की हिम्मत को नहीं मार पाए

by Surendra Tripathi

नक्सलियों से बेखौफ: बखूबी निभा रही सरपंच की जिम्मेदारी

रायपुर-

धुर नक्सली क्षेत्र की एक सामान्य सी दिखने वाली महिला रीता मंडावी के हौसल को लोग सलाम कर रहे हैं। नक्सली हिंसा में पति को खोने के बाद भी वे न केवल अपने परिवार को संभाल रही है बल्कि वह एक सरपंच की भूमिका भी मजबूती से निभा रही है। मुरिया जनजाति से तालुक रखने वाली रीता मंडावी सरपंच का मानदेय भी गांव के लोगों के लिए खर्च कर देती हैं। पति के जाने के बाद रीता को बस एक ही बात की चिंता थी कि उसके बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी लेकिन अब मुख्यमंत्री से मिली मदद से रीता की ये चिंता भी दूर हो गई है जिससे वो पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गई है।
मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने प्रदेशव्यापी भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में कुटरू क्षेत्र के अपने प्रवास के दौरान नक्सली हिंसा की पीड़ित रीता मंडावी को 5 लाख रूपए कि आर्थिक सहायता प्रदान की है। मुख्यमंत्री के हाथों सहायता राशि मिलने के बाद रीता मंडावी का कहना है कि वो इन पैसों को अपने बच्चों की शिक्षा और उनके बेहतर भविष्य के लिए खर्च करेगी और अपने जीवन को पहले की तरह ही समाज सेवा और लोगों को जागरूक करने में समर्पित करेगी.
बीजापुर जिले के अड्डावली गांव में रीता मंडावी का हंसता खेलता परिवार था। आदिवासी समाज को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए उनके पति घनश्याम मंडावी हमेशा सजग रहते थे। शासन की योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाने हमेशा लोगों को प्रेरित करते थे। बस यही बात नक्सलियों को खट गई। एक दिन उनकी नक्सलियों ने हत्या कर दी।
नक्सलियों को लगा कि ऐसा करके वो गांव, समाज और घनश्याम के परिवार की हिम्मत को तोड़ देंगे. लेकिन नक्सलियों को शायद ये पता नहीं था कि मॉं, पत्नी और सरपंच तीनों की भूमिका निभा रही रीता मंडावी के हौंसले कहीं ज्यादा बड़े हैं। पति की मौत के बाद डरने की बजाए रीता ज्यादा मजबूती से खड़ी हुई। रीता अपने 4 साल के बेटे और 2 साल की बेटी के साथ उसी कार्य में लगी रहीं जो वो अपने स्वर्गीय पति के साथ करती थीं, लोगों को जागरूक करना और शासन की योजनाओं को घर घर तक पहुंचाना।

Share with your Friends

Related Posts