नई दिल्ली | भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग को तेज करते हुए केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि 1 मई से देश में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगेगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि 18 से 45 साल के आयु वर्ग के लोगों के लिए वह टीके की आपूर्ति नहीं करेगी। इसका मतलब है कि या तो लोगों को वैक्सीन खुद खरीदना होगा या फिर उनके लिए उनकी राज्य सरकारों को खरीदना होगा। हालांकि, यूपी-बिहार समेत कुछ राज्यों ने ऐलान किया है कि वह फ्री वैक्सीन देगी। तो चलिए जानते हैं कि अगर 18-45 के लोगों के वैक्सीनेशन का खर्च राज्य उठाए तो किस राज्य को कितना खर्च पड़ सकता है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए वैक्सीन की कीमत तय कर दी है। सीरम ने कहा है कि वह प्राइवेट अस्पतालों को जहां 600 रुपए में कोविशील्ड वैक्सीन की एक डोज देगी, वहीं राज्य सरकारों को 400 रुपए में वैक्सीन की एक डोज देगी। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को एक आदमी को वैक्सीन देने में 800 रुपए का खर्च पड़ेगा।
हालांकि, कोवैक्सिन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने अब तक वैक्सीन की कीमतों की घोषणा नहीं की है। साथ ही आने वाले दिनों में भारत को अन्य टीके मिल सकते हैं, जो विदेशों में स्वीकृत किए गए हैं। हालांकि, कोविशील्ड ने जो कीमत तय की है, वह टीकाकरण पर वित्तीय बोझ कितना पड़ेगा, इसका इशारा कर दिया है।
जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट से राज्यों में 18-45 आयु वर्ग के लोगों की अपेक्षित संख्या के आधार पर राज्यों को पड़ने वाले खर्च का अनुमान लगाया जा सकता है। राज्य को इस खास आयु वर्ग के लिए टीकाकरण में कितना खर्च आएगा, इसकी गणना करने के लिए 800 रुपए से 18 से 45 साल के बीच के लोगों की संख्या में गुना करना होगा। इससे कुल खर्च निकल जाएगा, क्योंकि एक आदमी पर राज्य सरकार को 800 रुपए खर्च पड़ेंगे तो उनके यहां 18 से 45 के बीच के लोगों की संख्या कितनी है, उससे गुना करने पर कुल खर्च निकल जाएगा।
इस विश्लेषण से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में 18 से 45 साल की उम्र के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा होने के कारण राज्य सरकार को किसी राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा खर्च करना होगा।वहीं इस मामले में हिमाचल प्रदेश का सबसे कम खर्च करना होगा, क्योंकि वहां पर इस आयु वर्ग के लोगों की संख्या कम है। जहां तक राज्यों द्वारा वैक्सीन की खरीद किए जाने की वजह से राज्य सरकार के बजट पर भार का सवाल है तो इस मामले में बिहार सबसे आगे है। बिहार का बजट का आकार छोटा है और वहां 18-45 आयु वर्ग के लोगों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है। इसलिए राज्य सरकार को अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा वैक्सीन की खरीद पर खर्च करना होगा, जो प्रतिशत के मामले में किसी भी अन्य सरकार की तुलना में ज्यादा होगा। बिहार सरकार को वैक्सीन की खरीद पर बजट का 1.80 फीसदी राशि खर्च करना होगा, वहीं हिमाचल प्रदेश के अपने बजट का केवल 0.54 फीसदी।
अगर देश में 18 से 45 साल के आयु वर्ग के सभी लोगों को राज्य सरकार के द्वारा ही वैक्सीन लगाया जाएगा तो वैक्सीनेशन में कुल खर्च 47565.8 करोड़ होगा, जो कि राज्यों के कुल हेल्थ खर्चे का 26 फीसदी होगा। हालांकि, अगर लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ भी रुख करते हैं तो राज्यों के खर्च में कमी आएगी, क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों से दो डोज लेने में एक आदमी को 1200 रुपए खर्च आएंगे।