दंतेवाड़ा : मुख्यमंत्री के ’’मन के गोठ’’ में इस बात को विशेष पहल करने पर जोर दिया है। कि छत्तीसगढ़ का प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर बने हर व्यक्ति के पास काम हो रोजगार हो तभी सही मायने में ग्राम,राज्य एवं राष्ट्र आत्मनिर्भर बन सकेगा। दन्तेवाड़ा जिले में जिला प्रशासन ने एक अनुठी परिकल्पना ’’ग्राम स्वरोजगार’’ पर कार्य करना प्रारम्भ किया है। इस योजना के तहत् सर्वे दल द्वारा ग्रामों में सर्वे कार्य कराया गया, जिसमें ग्रामों में बेरोजगारी की स्थिति, बेराजगारी की संख्या, ग्रामों में जनसंख्या के आधार पर ग्राम की दैनिक आवश्यकताए, बेरोजगारो का विभिन्न कार्य में दक्षता का आंकलन उनके विभिन्न रोजगार के प्रति लगाव की जानकारी को एकत्रित किया गया प्राप्त जानकारियों का विश्लेषण कर ग्राम में रोजगार की उपलब्धता एवं संभावनाएं पर कार्य योजना निर्माण कर ’’ग्राम स्वरोजगार’’ पर कार्य प्रारम्भ किया है। शुरूआत में जिला प्रशासन में प्रत्येक विकासखण्ड के 5-5 पंचायतो को इस योजना से जोड़ा जिसमें 20 पंचायतों के कुल 121 हितग्राहियों को शामिल किया गया, इन हितग्राहियों का चयन जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा सभी चयनित 20 पंचायतों में जाकर सरपंच, सचिव आदि की उपस्थिति में हितग्राहियों की काउंसलिंग कर किया गया। प्रथम चरण में 8 पंचायतों का चयन किया गया, जिसमें गमावाड़ा, चितालूर, नेटापुर, चंदेनार, बेंगलूर, फरसपाल, समेली, गढमिरी के 55 हितग्राहियों को शामिल किया गया है।
जिला प्रशासन द्वारा गांव के अप्रशिक्षित बेरोजगार को उनके रूचि एवं ग्राम की आवश्यकता के अनुरूप स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण करवाया तथा स्वरोजगार हेतु आवश्यक धन शासन एवं जिला प्रशासन की विभिन्न योजनाओं के द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है। व्यक्तिगत स्वरोजगार हेतु परिवार के एक सदस्य को 50 हजार रूपये तथा सामूहिक स्वरोजगार हेतु 3 लाख रू. तक की राशि 5.6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर हितग्राहियों को उपलब्ध करवाया जा रहा है।
ग्राम स्वरोजगार हेतु पंचायतों की भूमिका बहुत ही अहम है पंचायतों स्वरोजगार हेतु पंचायत के भवन, या पंचायतों में भवन उपलब्ध नही है तो पंचायत द्वारा निर्मित अन्य भवन की मरम्मत कर बिजली फिटिंग या शेड निर्माण इत्यादि वैकल्पिक भवन की व्यवस्था कर रही है। तथा पंचायतों में संचालित छात्रावास, आश्रम एवं पोटाकेबिन में उनकी आवश्यक सामग्री का क्रय गांव के स्वरोजगार केन्द्रों से ही किये जाने हेतु प्रेरित किया जाता है। तथा इन केन्द्रों तक सामग्री की उपलब्धता आसान व सहज हो सके इस हेतु पंचायते जिला प्रशासन के सहायोग से केन्दों तक पक्की सड़कों का निर्माण कर रही है। जिला प्रशासन के ’’ग्राम स्वरोजगार योजना’’ का लाभ ग्रामिणों को मिल रहा है। उनके दैनिक आवश्यकताओं के पूर्ति उनके गांव में ही हो रही है। तथा बेरोजगारों को स्वरोजगार की रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है। प्रत्येक व्यक्ति इस योजना से कम से कम गांव एवं परिवार में रहते हुए 5 से 10 हजार का धनार्जन करने में सक्षम हुआ है। इन योजनाओं से हो रहे लाभ हेतु ग्रामीण व हितग्राही में प्रशासन के इन प्रयास के लिए धन्यवाद दिया है ।
स्वरोजगार से आत्मनिर्भरता की ओर
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