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छत्तीसगढ़ में ‘पेसा’ लागू करने नियम बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला,

by admin

रायपुर :  पंचायत मंत्री सिंहदेव और आदिम जाति कल्याण मंत्री टेकाम भी हुए शामिल
देश भर से आए आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों, गैर-सरकारी संगठनों, विषय विशेषज्ञों और विभागीय अधिकारियों ने ‘पेसा’ के लिए नियम बनाने चार दिवसीय कार्यशाला में किया मंथन

‘पेसा’ के क्रियान्वयन के लिए प्रभावी नियम बनाने सिंहदेव आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों से लगातार कर रहे हैं चर्चा

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव और अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम आज प्रदेश में ‘पेसा’ (PESA – Panchayatiraj Extension in Scheduled Areas) कानून को लागू करने नियम बनाने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल हुए। ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा में 1 फरवरी से आयोजित कार्यशाला का आज अंतिम दिन था। देश भर से आए विषय विशेषज्ञों, आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों, गैर-सरकारी संगठनों और विभागीय अधिकारियों ने पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) को छत्तीसगढ़ में लागू करने नियम बनाने के लिए विचार-विमर्श किया और अपने-अपने सुझाव दिए। मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम, पूर्व विधायक मनीष कुंजाम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव प्रसन्ना आर., पंचायत विभाग के संचालक मोहम्मद कैसर अब्दुल हक तथा राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान के संचालक पी.सी. मिश्रा भी कार्यशाला में शामिल हुए।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री सिंहदेव प्रदेश में ‘पेसा’ की मूल भावना के अनुरूप क्रियान्वयन के लिए प्रभावी नियम बनाने लगातार आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों, विषय विशेषज्ञों और वनांचलों में काम कर रहे नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से लगातार चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न दूरस्थ आदिवासी अंचलों का दौरा कर मैदानी स्तर पर भी लोगों से चर्चा की है। कार्यशाला के अंतिम दिन आज तीन दिनों तक हुई चर्चा और प्राप्त सुझावों के आधार पर तैयार ‘पेसा’ कानून के नियमों के प्रारूप पर मंत्रीद्वय सिंहदेव और टेकाम की मौजूदगी में बिंदुवार चर्चा की गई।

कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में देश भर से आए प्रतिभागियों ने ‘पेसा’ क्षेत्रों में भूमि, जल संसाधन, आबकारी, वन और गौण खनिज सहित अनेक विषयों पर अपने विचार रखे। सीमाओं के आधार पर ग्राम की संरचना व नए ग्राम पंचायतों के गठन, ग्राम सभा की संरचना व उनकी संख्या, ग्राम सभा की कार्यकारी समिति, ग्राम सभा के अध्यक्ष एवं सचिव, ग्राम सभा के कार्यालय, ग्राम सभा के निर्णय लेने के तरीकों, ग्राम सभा की बैठकों, महिला सभा की बैठक, ग्राम सभा की बैठकों की कार्यवाही सहित ‘पेसा’ के अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। ग्राम सभा की समितियों की संरचना एवं कार्य, समानांतर निकाय, ग्राम सभा के निर्णय पर आपत्ति, एक से अधिक ग्राम सभा की संयुक्त बैठकें, ग्राम सभा के प्रति संबंधितों का कर्तव्य पालन, ग्राम सभा कोष, भूमि प्रबंधन तथा भूमि अधिग्रहण जैसी ‘पेसा’ कानून की बारिकियों पर भी कार्यशाला में मंथन किया गया।

कार्यशाला में सर्व आदिवासी समाज की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी सर्वश्री बी.पी.एस. नेताम, एन.एस. मंडावी, जी.एस. धनंजय, के. राजू, भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी ए.आर. कुर्राम, सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुश्री सुमोना खन्ना, मानवशास्त्री सुश्री नंदिनी सुंदर, ओड़िशा के तुषार दास, झारखण्ड के करमचंद मारडी, महाराष्ट्र के देवजी भाई तोफा, आदिवासी समाज के प्रतिनिधिगण सर्वश्री अश्विनी कांगे, विनोद नागवंशी तथा हरिवंश मिरी ने भी ‘पेसा’ संबंधी नियमों पर अपने सुझाव दिए।

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