Home देश-दुनिया गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद किसानों का धरनास्थलों पर लौटना जारी, गाजीपुर बॉर्डर पर गाड़े फिर से तंबू

गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद किसानों का धरनास्थलों पर लौटना जारी, गाजीपुर बॉर्डर पर गाड़े फिर से तंबू

by admin

नई दिल्ली। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं गाजीपुर, सिंघु और टीकरी बॉर्डरों पर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 66वें दिन भी जारी है। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है।

गणंतत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद जहां सभी बॉर्डरों पर किसानों की संख्या घट गई थी, वो एक बार फिर से बढ़ने लगी है। 26 जनवरी के बाद ऐसा लग रहा था कि अब आंदोलन लगभग समाप्त हो गया है, लेकिन गुरुवार शाम गाजीपुर बॉर्डर पर डटे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के वीडियो टीवी चैनलों पर चलने के बाद माहौल तेजी से बदल गया और किसानों का फिर से धरनास्थलों पर लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है।
ऐसा ही नजारा टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर दिख रहा है। गुरुवार को गाजियाबाद प्रशासन द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर बिजली-पानी काटे जाने और टेंट हटाए जाने के बाद अब फिर से टेंट लगने शुरू हो गए हैं। हालांकि, इसके मंगलवार की घटना के मद्देनजर सभी जगहों पर भारी संख्या पर पुलिस बल भी तैनात कर दिए गए हैं।

राकेश टिकैत का कहना है कि हम धरनास्थल खाली नहीं करेंगे, हम पहले अपने मुद्दों पर भारत सरकार से बात करेंगे। सरकार जो भी करे हम गाजीपुर बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे। जब तक कानून रद्द नहीं हो जाते और MSP पर नया कानून नहीं बन जाता हम यहां से नहीं जाएंगे।

बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन तीनों कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

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