पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ जारी सीमा विवाद के मद्देनजर सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने ड्रैगन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि हम बातचीत और राजनीतिक उपायों के जरिए समस्या का समाधान करने को प्रतिबद्ध हैं और किसी को हमारे संयम की परीक्षा लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बता दें कि पिछले आठ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है और कई दौर की वार्ता के बाद भी यह तनाव कम नहीं हुआ है।
दिल्ली कैंट में परेड ग्राउंड में अपने संबोधन के दौरान सेना प्रमुख नरवणे ने कहा कि भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पास यथास्थिति को एकतरफा बदलने की चीनी कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मैं भारत के लोगों को यह आश्वासन देना चाहता हूं कि गलवान घाटी में हमारे सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
सेना प्रमुख ने कहा कि लद्दाख सेक्टर में आगे के क्षेत्रों में तैनात सैनिकों का मनोबल उन पहाड़ों से भी अधिक ऊंचा है, जिनकी वे रक्षा कर रहे हैं। पाकिस्तान से लगे लाइन ऑफ कंट्रोल की स्थिति पर सेना प्रमुख ने काह कि 300 से 400 आतंकवादी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में शिविरों में मौजूद हैं और भारत में घुसने की फिराक में हैं।
इससे पहले भी गुरुवार को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि भारतीय सेना सीमाओं पर यथास्थिति में ‘एकपक्षीय बदलाव’ के किसी भी प्रयास के खिलाफ दृढ़ता से खड़ी रहेगी और अमन-चैन की उसकी इच्छा को कमजोरी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सेना शत्रुओं की साजिश का त्वरित और निर्णायक जवाब देने में सक्षम रही है और उसी समय उसने पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को और बढ़ने से भी रोका है।
पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद का जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि सेना भारत के हितों की रक्षा के लिए आतंकवाद के स्रोत पर ही हमला करने में संकोच नहीं करेगी। जनरल नरवणे ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने, मजबूत अनुशासन और दक्ष पेशेवर कार्यशैली पर आधारित सेना का सैन्य चरित्र उभरते भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने में बल को शक्ति प्रदान करता रहेगा।