नईदिल्ली(ए)। डॉ वी. नारायणन ने कहा है कि हमने जनवरी में श्रीहरिकोटा से 100वां रॉकेट सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। भारत का 101वां उपग्रह- पृथ्वी अवलोकन उपग्रह आरआईएसएटी-18, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी61) के जरिये 18 मई को प्रक्षेपित किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा कि इसरो 18 मई को अपना 101वां उपग्रह प्रक्षेपित करेगा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के कार्यक्रम देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए योजनाबद्ध हैं।
इसरो अध्यक्ष ने कहा, हमने जनवरी में श्रीहरिकोटा से 100वां रॉकेट सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। भारत का 101वां उपग्रह- पृथ्वी अवलोकन उपग्रह आरआईएसएटी-18, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी61) के जरिये 18 मई को प्रक्षेपित किया जाएगा। पीएसएलवी भारत की निगरानी और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को सशक्त बनाता है। उन्होंने कहा कि इसरो के मिशन देश की विविध क्षेत्रों में आवश्यकताओं से प्रेरित हैं और यह उन्हें पूरा करने में तकनीकी रूप से सक्षम है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इसरो ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए किसी विशेष लॉन्च की योजना बनाई है तो नारायणन ने संवाददाताओं से कहा, हमारे सभी कार्यक्रम देश की सुरक्षा के लिए हैं। हम किसी अन्य देश के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं। डॉ वी. नारायणन ने कहा है कि देश के नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 उपग्रह लगातार 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं। नारायणन ने रविवार को मणिपुर की राजधानी इम्फाल स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा कि भारत एक “ऊर्जावान अंतरिक्ष शक्ति” बनता जा रहा है और वर्ष 2040 तक देश का पहला अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित किया जाएगा।

इसरो प्रमुख ने कहा, ‘34 देशों के 433 उपग्रह भारत से अंतरिक्ष में छोड़े गए हैं और उन्हें उनके कक्ष में स्थापित किया गया है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आज 10 उपग्रह देश के नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामरिक उद्देश्य से लगातार 24 घंटे कार्य कर रहे हैं।
- ऑपरेशन सिंदूर पर कही ये बात
उनकी यह टिप्पणी भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में आई है। देश ने सात मई को तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जिसका उद्देश्य पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था।
भारत और पाकिस्तान के बीच जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलाबारी और सैन्य कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से रोकने पर शनिवार को सहमति बनी थी। डॉ नारायणन ने कहा, “यदि हमें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, तो हमें उपग्रहों का उपयोग करना होगा। हमें अपने 7,000 किलोमीटर लंबे समुद्री तट की निगरानी करनी है। हमें पूरे उत्तर भारत को लगातार निगरानी में रखना है। यह कार्य उपग्रह और ड्रोन तकनीक के बिना संभव नहीं है।