नई दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में उछाल का असर घरेलू बाजार पर हो रहा है। आज शुक्रवार को पेट्रोल डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत गुरुवार को 23 पैसा बढ़कर 84.20 रुपये प्रति लीटर हो गया, जो अब तक का उच्चतम स्तर है। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में कच्च तेल 58 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। ऐसा होने पर पेट्रोल-डीजल की कीमत में 5-6 रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुकी पेट्रोल कीमतों पर जल्द बड़ी राहत भी मिल सकती है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने सरकार से ऊंची पेट्रोल, डीजल कीमतों पर राहत देने की सिफारिश की है। मंत्रालय ने कहा है कि उत्पाद शुल्क में कटौती कर जनता को बड़ी राहत दी जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो पेट्रोल के दाम 5 रुपये प्रति लीटर तक नीचे आ सकते हैं। एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया कि दुनियाभर में कोरोणा का टीकाकरण शुरू होने और मांग बढ़ने से कच्चा तेल 50 डॉलर के पार निकल गया है। इस महीने के अंत या अगले महीने तक कच्चा तेल 54 से 58 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकता है। 58 डॉलर के स्तर के पार निकलने पर कच्चा तेल 65 डॉलर प्रति बैरल तक इस साल के मध्य तक पहुंच सकता है। अगर कच्चा तेल 58 डॉलर के पार निकलता है तो घरेलू बाजार में पेट्रोल की कीमत 6 से 8 रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। डीजल में भी बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए आरबीआई ने मौद्रिक समीक्षा में लचीला रुख बनाए रखा है। यानी रेपो रेट में कटौती की संभावना बनी हुई है जिससे कर्ज लेना सस्ता होता लेकिन अब तेल की आग आरबीआई का गणित बिगाड़ सकता है। पेट्रोल-डीजल महंगा होने से महंगाई बढ़ेगी जिससे काबू करना आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की पहली चुनौती होगी। इस मुश्किल हालात में मांग बढ़ाने के लिए आरबीआई को नए तरीके से विचार करना होगा।
पेट्रोल बिगाड़ेगा सरकार और हमारा बजट
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