दुर्ग . पुलिस में सेवारत अमित बंजारे का कुल दूसरा और इस वर्ष का दूसरा डोनेशन आज dks हॉस्पिटल रायपुर में रायगढ़ से रेफर मरीज के लिए महासमुंद के डोनर और पुलिस में सेवारत अमित बंजारे ने एक ही काल पर रायपुर आ कर रक्तदान किया। छत्तीसगढ़ ब्लड डोनर फाउंडेशन के सतीश सिंह और अमितेश गर्ग से मरीज के परिजनों ने सपर्क किया था,तब उन्होंने उनके लिये ब्लड उपलब्ध करने की बात कही थी। फाउंडेशन के सदस्यों ने इस रक्तदान के लिये अमित जी को उनके दूसरे रक्तदान के लिये बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की बधाई दी।इस दौरान सतिश सिंह, अमितेश गर्ग, शानू साहू, विकास जायसवाल, राज आढ़तिया, कुलवंत सिंह भाटिया, प्रेम प्रकाश, प्रशांत साहू, अनिता अग्रवाल सहित पूरे सिटी ब्लड बैक के सदस्यों ने उन्हें बधाई दी।
फाउंडेशन के विवेक साहू ने बताया कि इससे पहले भी उनके टीम के द्वारा 6 अलग अलग मरिजो के लिये रेयर बॉम्बे ब्लड ग्रुप डोनेशन कराया जा चुका है। इसी कड़ी में यह इस वर्ष का 7वा बॉम्ब ब्लड़ ग्रुप डोनेशन है। लाखो लोगों में से किसी एक में पाया जाता है और उसका नाम बॉम्बे ब्लड ग्रुप है. इस रक्त समूह को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट रक्त समूह भी कहते है.
सिटी ब्लड़ बैंक के डायरेक्ट डॉ. मनोज लांजेवार ने बताया यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर ब्लड टाइप विश्व में सिर्फ 0.0004 फीसदीलोगों में ही पाया जाता है. भारत में 10,000 लोगों में केवल एक व्यक्ति का ब्लड बॉम्बे ब्लड टाइप होगा. इसे Hh ब्लड टाइप भी कहते है या फिर रेयर ABO ग्रुप ब्लड. डॉक्टर वाई एम भेंडे ने 1952 में इसकी सबसे पहले खोज की थी. इसको बॉम्बे ब्लड इसलिए कहा जाता है क्योंकि सबसे पहले यह बॉम्बे के कुछ लोगों में पाया गया था. इस ब्लड टाइप के भीतर पाई जाने वाली फेनोटाइप रिएक्शन के बाद यह पता चला की इसमें एक H एंटीजेन होता है. इससे पहले इसे कभी नहीं देखा गया था. अधिक समझने के लिए इनकी लाल कोशिकाओं (RBC) में एबीएच एंटीजन होते हैं और उनकी सीरा में एंटी-ए, एंटी-बी और एंटी-एच होते है. एंटी-एच को ABO समूह में नहीं खोजा गया है, लेकिन प्रीट्रांसफ्यूज़न टेस्ट में इसके बारे में पता चला है. यही H एंटीजन ABO ब्लड समूह में बिल्डिंग ब्लॉक का काम करते है. एच एंटीजन की कमी “बॉम्बे फेनोटाइप” के रूप में जानी जाती है
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