नईदिल्ली(ए)। भारत की स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस एमके1ए के लिए पहली ‘सेंटर फ्यूजलेज असेंबली’ को एक निजी भारतीय कंपनी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंप दी है। हैंडओवर हैदराबाद में हुआ। यह एचएएल की एलसीए एमके1ए के लिए चौथी उत्पादन लाइन स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अभी HAL की दो उत्पादन लाइनें बंगलूरू में और एक नासिक में हैं। रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा है कि यह पहली बार है जब एलसीए तेजस विमान के लिए एक प्रमुख उप-असेंबली का निर्माण एक निजी भारतीय कंपनी द्वारा किया जा रहा है। एलसीए तेजस डिवीजन को पहले ही एमके1ए विन्यास में एयर इनटेक असेंबली, रियर फ्यूजलेज असेंबली, लूम असेंबली और फिन और रडर असेंबली के संरचनात्मक मॉड्यूल मिल चुके हैं। एचएएल ने कहा कि वह इस आउटसोर्सिंग मॉडल को भविष्य की परियोजनाओं में विस्तारित करने की योजना बना रहा है, ताकि देश की कंपनियों की क्षमता का इस्तेमाल किया जा सके और अपनी खुद की उत्पादन क्षमता को और मजबूत किया जा सके।
एचएएल एलसीए विमान का उत्पादन बढ़ाएगा
एचएएल के सीएमडी ने एलसीए तेजस के उत्पादन में टियर 1 और एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं की तेजी से वृद्धि को स्वीकार किया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रमुख उप-असेंबली के साथ, एचएएल एलसीए विमान का उत्पादन बढ़ाएगा और भारतीय वायु सेना को समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करेगा।

संजीव कुमार और डीके सुनील की मौजूदगी में हुआ हस्तांतरण
यह हस्तांतरण रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार और एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डीके सुनील की मौजूदगी में हुआ। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके1ए के लिए पहली सेंटर फ्यूलेज असेंबली 30 मई को हैदराबाद में मेसर्स वीईएम टेक्नोलॉजीज द्वारा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपी गई।
देश के रक्षा उत्पादन में 10 फीसदी की दर से वृद्धि
रक्षा उत्पादन सचिव ने एचएएल और वीईएम टेक्नोलॉजीज के बीच साझेदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत के रक्षा उत्पादन में सालाना लगभग 10 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है और रक्षा निर्यात भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता सर्वोपरि है। इसे स्वयं के विनिर्माण और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति के बिना हासिल नहीं किाय जा सकता है, जो सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।
निजी कंपनियों के साथ मिलकर बनाया राष्ट्रीय एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र
एचएएल ने कहा है कि उसने निजी कंपनियों के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है। इसके लिए वह जरूरी उपकरण, डिजाइन और तकनीक दे रहा है। इसके चलते एलएंडटी, अल्फा टोकोल, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल), वीईएम टेक्नोलॉजीज और लक्ष्मी मशीन वर्क्स (एलएमडब्ल्यू) जैसी कंपनियों को सेंटर फ्यूजलेज, फ्यूल ड्रॉप टैंक, पाइलॉन, रियर फ्यूजलेज, विंग्स, फिन्स, रडर और एयर इनटेक जैसी जटिल सब-असेंबली बनाने में सक्षम हुई हैं।
आत्मनिर्भर भारत के विजन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के विजन की दिशा में यह एक मजबूत कदम है। एचएएल ने 6,300 से ज्यादा भारतीय कंपनियों के साथ काम किया है, जिनमें 2,448 MSME हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिला है और एक मजबूत घरेलू सप्लाई चेन बनी है। पिछले तीन वर्षों में, एचएएल ने भारतीय विक्रेताओं को 13,763 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए हैं। वह विमान के जटिल हिस्सों को देश में ही बनाने पर जोर दे रहा है।