नईदिल्ली(ए)। देश के दूरसंचार विभाग ने सोमवार को कड़े सुरक्षा मानदंड जारी करते हुए उपग्रह संचार सेवाओं के कानूनी ‘इंटरसेप्शन’ को अनिवार्य कर दिया। इसके अलावा कंपनियां किसी भी रूप में देश की सीमा के बाहर स्थित किसी भी टर्मिनल या सुविधा के साथ उपयोगकर्ताओं के कनेक्शन को नहीं जोड़ सकेंगी। विदेशों में उपभोक्ताओं के डेटा प्रसंस्करण पर भी रोक लगा दी गई है। सुरक्षा नियमों के तहत सेवा प्रदाताओं को देश में अपनी स्थापना के कुछ वर्षों के भीतर उपग्रह नेटवर्क के अपने जमीनी उपकरणों और सुविधाओं के कम से कम 20 प्रतिशत हिस्से को स्वदेशी बनाना होगा। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार पहली बार आम जनता के लिए उपग्रह संचार सेवा खोलने की तैयारी कर रही है। इस सेवा को आपराधिक तत्वों, खासकर आतंकवादियों की तरफ से किसी भी दुरुपयोग से बचने के लिए उपाय करने की जरूरत है। एलन मस्क के नेतृत्व वाली स्टारलिंक, भारती समूह समर्थित वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस जैसी प्रमुख कंपनियां भारत में उपग्रह संचार सेवाएं प्रदान करने की दौड़ में हैं। ताजा निर्देश के अनुसार, उपग्रह संचार सेवा लाइसेंस धारक को भारत में विशिष्ट गेटवे और केंद्रों के लिए सुरक्षा मंजूरी लेनी होगी। नियमों के अनुसार उपग्रह संचार कंपनियों को भारत में परिचालन शुरू करने से पहले दूरसंचार विभाग (डीओटी) या उसके अधिकृत प्रतिनिधियों को निगरानी समेत सुरक्षा पहलुओं के संबंध में पूरी जानकारी देनी होगी।
केंद्र सरकार का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना और विदेशी ताकतों की तरफ से डेटा लीक या जासूसी की संभावनाओं को खत्म करना है। विशेषज्ञ इस कदम को भारत की डिजिटल संप्रभुता और साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला मान रहे हैं।
