नईदिल्ली(ए)। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के पास अब विज्ञान और अनुसंधान के लिए सब कुछ है। वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के 55वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने विदेश में काम कर रहे भारतीय शोधकर्ताओं से निर्धारित उद्देश्यों और समयसीमा के साथ अपनी वापसी की योजना बनाने का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो लोग कुछ खास कारणों से बाहर गए हैं, उन्हें सलाह दी जानी चाहिए कि वे योजना बनाएं कि वे कितने साल विदेश में रहेंगे और उनके निश्चित उद्देश्य क्या हैं, ताकि उनके लौटने की समयसीमा पहले से निर्धारित की जा सके। इस दौरान उन्होंने भारत के वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र में ‘360 डिग्री के बदलाव’ के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि इस बदलाव का कारण मानसिकता में बदलाव है, जो न केवल सरकारी स्तर पर हुआ है, बल्कि इसके बाहर भी हुआ है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस मानसिक बदलाव ने समाज के सभी स्तरों पर आकांक्षाओं को मजबूत किया है। केंद्रीय मंत्री ने शोध और नवाचार के पारंपरिक तरीकों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पुराने मॉडलों को चुनौती देते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि केवल उद्योग-आधारित शोध क्यों? उद्योग-निर्धारित शोध क्यों नहीं?” उन्होंने मजबूत निजी भागीदारी की भी वकालत की। साथ ही सुझाव दिया कि सहयोग को ज्ञान साझा करने से आगे बढ़कर न्यायसंगत वित्तीय प्रतिबद्धताओं को शामिल करना चाहिए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि अगर आप 50 प्रतिशत निवेश करते हैं, तो दूसरे पक्ष को 50 या 60 प्रतिशत निवेश करने दें।

इस दौरान उन्होंने वैश्विक वैज्ञानिक मंच पर भारत की बढ़ती उपस्थिति को भी बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करना शुरू कर रहा है। ऐसे में कोई भी नहीं चाहेगा कि भारत तेजी से आगे बढ़े, लेकिन तथ्य यह है कि वे हमारे बारे में सोचेंगे या हमारे बारे में सोचना शुरू कर चुके हैं तो इसका मतलब है कि हम सही रास्ते पर हैं। इस दौरान उन्होंने पिछले दशक में भारत की वैज्ञानिक उन्नति को दर्शाने वाले आंकड़े भी साझा किए।
भारत की वैश्विक स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हम नाज़ुक पांच’ से ‘शीर्ष पांच तक पहुंच गए हैं। स्टार्टअप के मामले में भारत अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है, वैश्विक नवाचार सूचकांक में 81वें स्थान से 39वें स्थान पर पहुंच गया है और वैश्विक पेटेंट फाइलिंग में छठे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि बीते साल दायर किए गए 64,480 पेटेंट में से 56 प्रतिशत भारतीय निवासियों द्वारा किए गए थे। इसका अर्थ है कि भारत एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र और बुनियादी ढांचा बनाने में सफल रहा है, जिसके लिए अब देश के बाहर जाने की जरूरत नहीं है।