Home देश-दुनिया भारत हर साल 50 गीगावॉट पैदा करे अक्षय ऊर्जा, खत्म हो जाएगी 2029 तक कोयला पर निर्भरता

भारत हर साल 50 गीगावॉट पैदा करे अक्षय ऊर्जा, खत्म हो जाएगी 2029 तक कोयला पर निर्भरता

by admin

नईदिल्ली(ए)। अगर भारत हर साल 50 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) अक्षय ऊर्जा पैदा करता है, तो वह 2029 तक तापीय (थर्मल) कोयले का आयात पूरी तरह से बंद कर सकता है। इससे 2025 से 2029 के बीच लगभग 5.48 लाख करोड़ रुपये (66 अरब डॉलर) की बचत होगी। यह खुलासा सोमवार को प्रकाशित जलवायु और ऊर्जा थिंक टैंक क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स की नई रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि सालाना अक्षय ऊर्जा पैदा करने से लंबी अवधि में 2025–2034 कुल बचत कम से कम 14.36 लाख करोड़ रुपये (173 अरब डॉलर) तक पहुंच सकती है। वर्तमान में, भारत का बिजली क्षेत्र काफी हद तक कोयले के आयात पर निर्भर है। भारत ने 2023-24 में लगभग 20 फीसदी या 20.6 करोड़ टन थर्मल कोयला आयात किया और इसकी लागत लगभग1.74 लाख करोड़ (21 अरब डॉलर) रही। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2013 और 2023 के बीच तापीय कोयला आयात में 58% की बढ़ोतरी हुई, जबकि आयात की कीमतों में 124 फीसदी की वृद्धि हुई है।

आयातित कोयले पर निर्भरता से भारत को झेलने पड़ सकते  हैं भौतिक और वित्तीय खतरे
भारत ने 2013 से 2023 तक लगभग 212.8 करोड़ टन कोयला आयात किया। कोयले का यह आयात खास तौर से बिजली उत्पादन के लिए था। थर्मल कोयला आयात लगातार औसतन 3.7 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ रहा है और 2013 के बाद से कुल मिलाकर 40 फीसदी बढ़ गया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आयातित कोयले पर निर्भरता से भारत को आने वाले वक्त में बड़े भौतिक और वित्तीय खतरे झेलने पड़ सकते हैं। भौतिक जोखिमों में कोयला निर्यातक देशों में राजनीतिक अस्थिरता या प्राकृतिक आपदाओं के कारण आपूर्ति में रुकावट शामिल है। वहीं, वित्तीय दृष्टिकोण से वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव भारतीय बिजली कंपनियों और उपभोक्ताओं के लिए अनिश्चितता पैदा करता है।

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