नईदिल्ली (ए)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण और सतत विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाने की जरूरत पर जोर दिया और भारत में जल सुरक्षा के लिए चल रहे प्रयासों को उजागर किया। हर साल 22 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व जल दिवस वर्ष 1993 से शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य ताजे पानी के महत्व को उजागर करना और सतत विकास लक्ष्य 6 को पूरा करना है, जिसका लक्ष्य 2030 तक सभी को पानी और स्वच्छता तक पहुंच दिलाना है। इस साल की- ‘ग्लेशियर संरक्षण’ है।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “विश्व जल दिवस पर हम जल संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने के अपने संकल्प को दोहराते हैं। जल ही जीवन का आधार है, इसलिए इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना जरूरी है।”

एक वीडियो संदेश में पीएम ने भारत में जल संरक्षण की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “जल जीवन का आधार और दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। हमारे पूर्वजों ने जल संरक्षण को हमेशा प्राथमिकता दी है। वेदों और पुराणों में भी जलाशय, बांध और तालाब बनाने को मानव का परम कर्तव्य बताया गया है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने जल संकट को देश के विकास के लिए भी खतरा बताया। उन्होंने जल जीवन मिशन का उल्लेख करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल उपलब्धता, प्रबंधन और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “गांवों में जल स्रोतों के संरक्षण के लिए भी प्रयास हो रहे हैं। हो सकता है कि जहां आप रहते हैं, वहां पानी की कोई कमी न हो, लेकिन हमें उन लाखों लोगों को याद रखना चाहिए, जो पानी की कमी का सामना कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने नदियों के संरक्षण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नदियों की रक्षा और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए महाकुंभ जैसे आयोजनों से प्रेरणा लेकर नदी उत्सवों को नया अर्थ देना चाहिए। इससे नई पीढ़ी को जल की महत्ता का एहसास होगा और वे स्वच्छता और संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे।