Home देश-दुनिया कैबिनेट ने पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कार्यान्वयन को दी मंजूरी

कैबिनेट ने पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कार्यान्वयन को दी मंजूरी

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नईदिल्ली (ए)। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को मंजूरी दे दी है। संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन को 15वें वित्त आयोग (2021-22 से 2025-26) के दौरान 3400 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ मंजूरी दी गई है।

गोकुल मिशन में केंद्र सरकार ने दो नई गतिविधियों को भी जोड़ दिया है। इसमें कुल 15000 बछियों के लिए 30 आवासीय सुविधाओं के निर्माण के लेकर कार्यान्वयन एजेंसियों को बछिया पालन केंद्रों की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत का 35 प्रतिशत एकमुश्त सहायता और किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि ऐसी खरीद के लिए दूध संघों/वित्तीय संस्थानों/बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जा सके। इससे अधिक पैदावार देने वाली नस्लों के व्यवस्थित इंडक्शन में मदद मिलने को शामिल किया गया है।

यह योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन की चल रही गतिविधियों को जारी रखने के लिए है-वीर्य केन्द्रों को मजबूत बनाना, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क, बैल प्रजनन कार्यक्रम का कार्यान्वयन, लिंग-विशिष्ट वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम, कौशल विकास, किसान जागरूकता, उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना सहित नवीन गतिविधियों के लिए समर्थन, केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना और इनमें से किसी भी गतिविधि में सहायता के पैटर्न में कोई बदलाव किए बिना केन्द्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना।

आपको बता दें, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के क्रियान्वयन एवं सरकार के अन्य प्रयासों से पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, साथ ही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता जो 2013-14 में 307 ग्राम प्रतिदिन थी, वह 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है। पिछले दस वर्षों में उत्पादकता में भी 26.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इस योजना से दूध उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे अंततः किसानों की आय में वृद्धि होगी। यह बैल उत्पादन में व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रयासों तथा स्वदेशी गोजातीय जीनोमिक चिप्स के विकास के माध्यम से भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और परिरक्षण पर केंद्रित है।

इसके अतिरिक्त, योजना के तहत की गई पहलों के कारण इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक स्थापित तकनीक बन गई है। इस पहल से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि डेयरी उद्योग में लगे 8.5 करोड़ किसानों की आजीविका में भी सुधार होगा।

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