नईदिल्ली(ए)। भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ोतरी होने वाली है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है जो 2022 में सिर्फ 8.4 बिलियन डॉलर थी। यह रिपोर्ट फिक्की और ईवाई द्वारा जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि भारत का अंतरिक्ष उद्योग उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष अन्वेषण और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी की वजह से तेजी से विकसित हो रहा है।
भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक नेता बन सकता है

रिपोर्ट के अनुसार भारत का अंतरिक्ष उद्योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने के लिए तैयार है। इसके लिए उपग्रह संचार, अंतरिक्ष अन्वेषण और नई तकनीकों के जरिए बड़ी प्रगति हो रही है। सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों जैसे भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 ने इस क्षेत्र में एक स्थिर और नवाचारी वातावरण तैयार किया है जिससे व्यावसायीकरण और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिल रहा है।
2033 तक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 400% वृद्धि की उम्मीद
2033 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में लगभग 400% वृद्धि होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक में भारत अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को नया आकार देने जा रहा है। इस दौरान उपग्रह संचार इस क्षेत्र का प्रमुख योगदानकर्ता होगा जिससे भारत के अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में $14.8 बिलियन का इजाफा होने की संभावना है।
उपग्रह संचार और डिजिटल इंडिया का महत्वपूर्ण योगदान
उपग्रह संचार भारत की डिजिटल यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा है विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। भारत लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) और मीडियम अर्थ ऑर्बिट (MEO) उपग्रहों का इस्तेमाल कर ब्रॉडबैंड नेटवर्क को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने की योजना बना रहा है। यह डिजिटल इंडिया और भारतनेट जैसी राष्ट्रीय योजनाओं को भी सहयोग देगा जो देशभर में कनेक्टिविटी सुधारने और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं।
निजी क्षेत्र की भूमिका और वैश्विक भागीदारी
भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सरकार अब अंतरिक्ष उद्योग को सरकार-केंद्रित मॉडल से नवाचार-संचालित और व्यावसायिक रूप से उन्मुख मॉडल की ओर बढ़ा रही है। इस बदलाव के तहत निजी कंपनियों के लिए उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने और डेटा प्रदान करने का एक नया अवसर खुल रहा है जो कृषि आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहायक होगा।
इसके अलावा डॉ. ए.एस. किरण कुमार जो इसरो के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं का कहना है कि वैश्विक भागीदारी और निजी क्षेत्र का नवाचार भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास की नींव होगा।
भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से करेगा विस्तार
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में जो वृद्धि हो रही है वह सिर्फ तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बहुत अहम है। इसके माध्यम से न केवल हजारों नई नौकरियों का सृजन होगा बल्कि भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी योगदान बढ़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में भारत का अंतरिक्ष उद्योग विश्व के सबसे बड़े उद्योगों में से एक बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
बता दें कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा की संभावनाएँ अब पहले से कहीं अधिक उज्जवल हैं। वैश्विक भागीदारी और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के साथ भारत का अंतरिक्ष उद्योग नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।