
नईदिल्ली (ए)। पोत परिवहन क्षेत्र में व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ाने से जुड़े वहन पत्र (बिल ऑफ लैडिंग) विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल गई। यह बिल वर्ष 1856 के वहन पत्र कानून की जगह लेगा। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दावा किया कि बिल में शामिल प्रावधानों के कारण यह भविष्य में पोत परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का कारण बनेगा।
विधायी थिंक-टैंक का तर्क
विधायी थिंक-टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव के अनुसार, बिल ऑफ लैडिंग ऐसा दस्तावेज है, जो मालवाहक की ओर से शिपर को जारी किया जाता है। इसमें ले जाए जा रहे माल के प्रकार, मात्रा, स्थिति और गंतव्य जैसे विवरण होते हैं। बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सोनोवाल ने कहा कि पोत परिवहन आर्थिक समृद्धि के लिए बेहद अहम है।
इससे जुड़े सदियों पुराने ब्रिटिश कानून के कारण इस क्षेत्र में तेजी से विकास का रोडमैप तैयार करना मुश्किल था। मोदी सरकार विकसित भारत के निर्माण के लिए पोत परिवहन क्षेत्र के महत्व को समझती है। यही कारण है कि समय के अनुरूप इसमें जरूरी बदलाव लाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक आधुनिक देश होने के नाते और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के नाते यह जरूरी है कि हमारे कानूनों में हमारी अस्मिता झलके और औपनिवेशिक मानसिकता नहीं हो, यह विधेयक इसी दिशा में सरकार का प्रयास है।
तरक्की के लिए बढ़ानी होगी जहाजों की संख्या
लक्षद्वीप के कांग्रेस सांसद मो. हमीदुल्ला सईद ने इस क्षेत्र में आगे बढ़ने और तरक्की के लिए जहाजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और लक्षद्वीप प्रशासन को निर्देश दें कि वे समन्वय करके केंद्रशासित प्रदेश में व्यापार सुगमता और लोगों के परिवहन की सुगमता पर ध्यान दें। भाजपा के विभू प्रसाद तराई ने पोत परिवहन क्षेत्र में नियमों के सरलीकरण के लिए विधेयक लाने जाने पर सरकार की प्रशंसा की।
हालांकि विपक्ष के कुछ सांसदों ने इसे सहकारी संघवाद के खिलाफ बताया। टीएमसी की प्रतिमा मंडल ने आरोप लगाया कि यह विधेयक छोटे कारोबारियों की जगह बड़े कारोबारियों के हितों का संरक्षण करने वाला है। उन्होंने विधेयक में मालवाहक शुल्क को विनियमित नहीं करने की आलोचना की।