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नईदिल्ली(ए)। केंद्र सरकार ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को चिकित्सा शोध और अभ्यास के प्रमुख संस्थान में बदलने की तैयारी की। इसका रोडमैप तैयार करने के लिए नीति आयोग ने समिति का गठन किया है। यह समिति एम्स की मौजूदा प्रक्रियाओं की गहन जांच करके बदलाव सुझाएगी और आयोग को रिपोर्ट सौंपेगी। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। यह समिति एम्स में मौजूदा प्रणालियों और प्रक्रियाओं की गहन जांच करेगी। इसके साथ ही विशिष्ट समयसीमा के साथ महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव करके रिपोर्ट सौंपेगी। समिति को एम्स आने वाले रोगियों की प्रक्रिया सुगम बनाने के उपाय बताने होंगे। इसके अलावा शैक्षणिक और अनुसंधान परिणामों की निगरानी के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (केपीआई) विकसित करने होंगे। इसके अलावा समिति का काम एम्स में शासन और पारदर्शिता को बढ़ाने और एम्स के प्रबंधन में वित्तीय विवेक, स्थिरता और आत्मनिर्भरता के लिए नीति बनाना होगा।
आयोग की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग ने सीएसईपी रिसर्च फाउंडेशन के साथ साझेदारी में विभिन्न देशों के अनुभवों की जांच करने का प्रयास किया है। जिन्होंने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्राप्त करने के लिए रणनीतियां अपनाई हैं। मसौदे में आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष दोनों की फंडिंग के लिए भी एक प्रस्ताव दिया गया है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा वितरण, पहुंच, गुणवत्ता और सामर्थ्य में सुधार करना है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक सतत् कार्य है और इसमें भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं और संदर्भ के अनुरूप संभावित मार्गों की पहचान करने के लिए व्यापक सरकारी और हितधारक परामर्श की परिकल्पना की गई है। यूएचसी का तात्पर्य वित्तीय तनाव पैदा किए बिना जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है।
स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में हुआ बदलाव
बीते सालों में भारत ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में परिवर्तन करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना ने परिवारों के वित्तीय बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब तक स्वदेशी उपचार न होने और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए दी जाने वालीं दवाए महंगी होने से लोगों दिक्कत होती थी। इसके लिए नीति आयोग ने गंभीर बीमारियों के लिए स्वदेशी खुराक तेजी से तैयार की। इसकी रोगियों तक पहुंच और सामर्थ्य में सुधार किया। आयोग ने अब तक चार दवाएं सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराई हैं। जबकि चार और दवाएं आवश्यक विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं और उन्हें इस साल के अंत तक सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिकल सेल रोग के प्रबंधन के लिए हाइड्रोक्सीयूरिया का सिरप तैयार करने की प्रक्रिया भी स्वीकृति के चरण में है।